नीतीश विरोधियों के लिए बिहार सरकार का सबसे कमजोर नब्ज है कानून व्यवस्था. उस दिन लालगंज में दारोगा की पीट कर हत्या कर दी गयी.तब सिर्फ दो दिन बाद नीतीश सरकार शपथ लेने वाली थी.
लेकिन यह हादसा बेल मुड़ाने के पहले ओले गिरने जैसा था. सो विधिवत सरकार संभालने के दूसरे दिन नीतीश कुमार ने जो पहला काम किया वह था प्रदेश के सभी 40 एसपी और 38 डीएम के साथ बैठक कर कानून व्यवस्था का जायजा लेना. सरकार का कामकाज संभालने के बाद यह मीटिंग इसलिए भी सबसे पहले महत्वपूर्ण थी क्योंकि विरोधी दल के नेता जंगल राज का राग अलाप कर नीतीश पर हमला बोलना शुरू कर चुके हैं.
इस लिए स्वाभाविक था कि नीतीश ने अधिकारियों की मीटिंग की. और उनकी खामियों पर तल्ख तेवर भी अपनाये.
दो घंटे की इस विडियो कांफ्रेंसि द्वारा आयोजित मीटिंग में नीतीश ने कहा कि कानून का राज हर हाल में कायम रहना चाहिए. उन्होंने दंगों की स्थिति में सीधे डीएम और एसपी को जिम्मेदार ठहराये जाने की बात दोहराई.
उन्होंने सबको सख्त लहजे में निर्देश दिया कि ऐसे नहीं चलेगा, कार्यशैली में सुधार लाइये, वरना मुश्किल हो सकती है.
नीतीश ने अधिकारियों से कहा कि आपका चेहरा देखकर आपका मूल्यांकन नहीं होगा, आपके काम के आधार पर ही परखा जाएगा.
इस दौरान नीतीश कुमार ने कुछ अधिकारियों की लापरवाही को भी रेखांकित किया.
वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से नीतीश ने लापरवाही का जिक्र करते हुए कुछ जिलाधिकारियों को सख्त लहजे में कहा कि आप लोग ऐसा मत सोचिए कि थानेदार एसपी के अधीन है, इसलिए वो आपकी जिम्मेदारी नहीं है। इस प्रकार का रवैया तत्काल बदल लीजिए, ऐसी सोच के साथ आगे काम करना, आगे मुश्किल होगा.