लोकसभा कांग्रेस को विरोधी दल की मान्यता के लिए कम से कम 55 सदस्य चाहिए पर उसके पास मात्र 44 सदस्य हैं. ऐसे में वह क्या करेगी कि उसे विरोधी दल की मान्यता मिले?
लोकसभा चुनाव में भारी पराजय के बाद कांग्रेस अब उबरने के प्रयास में जुट गयी है। अब वह पार्टी के बजाय गठबंधन की राजनीति कर रही है औ इस दिशा में पहल भी शुरू कर दी है।
पार्टी की लोकसभा में सीटों की संख्या इतनी नहीं है कि वह अपने दम पर विरोधी दल की मान्यता का दावा कर सके। विरोधी दल की मान्यता के लिए कम से कम 55 सदस्यों का होना जरूरी है, जबकि उसके सदस्यों की संख्या मात्र 44 है। ऐसी मजबूरी में कांग्रेस ने गठबंधन के आधार पर विरोधी दल की मान्यता के लिए दावा पेश करने का निर्णय लिया है।
लोकसभा में कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने विरोधी दल की मान्यता का दावा पेश करने के लिए लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन से समय मांगा है।
माना जा रहा है कि कांग्रेस के 44 सदस्यों के अलावा एनसीपी, राजद व अन्य सहयोगी दलों की संख्या मिलाकर संख्या 80 को पार कर जाती है। इन पार्टियों ने लोेकसभा चुनाव के पूर्व ही गठबंधन किया था और एक-दूसरे की सीटों पर अपना उम्मीदवार नहीं दिया था। तकनीकी रूप से गठबंधन है। इस आधार पर दावा कर सकते हैं।
इस गठबंधन में कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी है। अत: सदन में उसका नेता ही विरोधी दल का नेता होगा। हालांकि इस संबंध में अंतिम निर्णय लोेकसभा स्पीकर पर निर्भर करता है। लोकसभा सूत्रों की मानें तो स्पीकर इस संबंध में उदारवादी रवैया अपना सकती हैं, ताकि विपक्षी दल की परंपरा का निर्वाह हो सके। यदि ऐसा होता है तो यह भी कहा जाएगा कि अब विपक्ष में गठबंधन की राजनीति शुरू हो रही है।
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