जनता परिवार के विलय को लेकर कई तरह के दावे किये जा रहे हैं। कुछ उत्साहित नेताओं ने विलय की तिथि भी घोषित कर दी है। लेकिन अभी तक स्थिति यह है कि बातचीत नाश्ता-पानी और भोजन से आगे नहीं बढ़ पायी है।
नौकरशाही ब्यूरो
विलय को लेकर पिछले लगभग छह महीने से कवायद हो रही है। विलय की तारीख, नेता और बैठकों पर खूब बहस हो रही है, लेकिन अभी तक कोई ठोस पहल नहीं दिख रही है। बिहार में अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहे नीतीश और लालू विलय को लेकर बड़े-बड़े दावे कर रहे हैं। अपनी राष्ट्रीय कार्यसमिति में राजद प्रमुख लालू यादव ने कहा कि विलय हो चुका है। उधर जदयू के नेता नीतीश कुमार और शरद यादव भी कहते हैं कि विलय पर सहमति बन गयी है।
लेकिन विलय को लेकर समाजवादी पार्टी जलपान से आगे नहीं बढ़ पायी है। समाजवादी पार्टी ने अपनी ओर से कोई हड़़बड़ी नहीं दिखा रही है। न तो इस मुद्दे पर समावादी पार्टी की कार्यसमिति ने कोई बैठक की है और न कोई प्रस्ताव पारित किया है। इस मुद्दे पर समाजवादी पार्टी के विधायक दल ने भी कोई प्रस्ताव पारित नहीं किया है। लखनऊ में हमारे सूत्रों ने बताया कि विलय को लेकर कोई चर्चा भी नहीं है। विलय पर चर्चा भी शरद-लालू-नीतीश के लोग ही कर रहे हैं। बयान भी उनका ही आ रहा है। नयी पार्टी का अध्यक्ष भी मुलायम सिंह को मनोनीत कर दिया गया है। यह सब चर्चा बिहारी खेमा ही कर रहा है।
घोषणा की चर्चा
पटना-दिल्ली में बेचैनी और लखनऊ का मौन यह बता रहा है कि विलय पर सबकुछ सामान्य नहीं है, जैसा नीतीश या लालू कह रहे हैं। विलय की तकनीकी प्रक्रिया भी बहुत जटिल है। वैसी स्थिति अभी और का इंतजार करना होगा या हो सकता है कि विलय घोषणा से आगे ही नहीं बढ़ पाए। सब कुछ भविष्य के गर्भ है। अभी सिर्फ चर्चा ही कर सकते हैं।
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