NEW DELHI, JULY 25 (UNI):-The 14th President of India Ramnath Kobind addressing after swering-in ceremony at the Central Hall of Parliament House, in New Delhi on Tuesday. UNI PHOTO-AK17U

देश के 14 वें राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने विविधता को देश की सफलता का मूल मंत्र बताते हुए प्राचीन भारतीय ज्ञान और समकालीन विज्ञान की मदद से ऐसे भारत के निर्माण की जरूरत बतायी है, जिसमें सभी को समान अवसर मिलें।

संसद भवन के केन्द्रीय कक्ष में राष्ट्रपति के रूप में शपथ लेने के बाद श्री कोविंद ने अपने संबोधन में इक्कसवीं सदी को भारत की सदी बताते हुए कहा कि पूरी दुनिया अंतर्राष्ट्रीय समस्याओं के समाधान के लिए हमारी तरफ देख रही है। देश की उपलब्धियां ही इस सदी की दिशा और स्वरूप तय करेंगी और भारत को आर्थिक नेतृत्व देने के साथ साथ नैतिक आदर्श भी प्रस्तुत करना है। विभिन्न मुद्दों पर असहमति को भी जगह दिये जाने की वकालत करते हुए उन्होंने कहा कि देश में एक – दूसरे के विचारों का सम्मान करने की परंपरा है और असहमति को भी जगह मिलना भारतीय लोकतंत्र की खुबसूरती है।

 

श्री कोविंद ने कहा कि देश ने बहुत कुछ हासिल किया है लेकिन इससे भी अधिक तेजी से प्रयास करने की जरूरत है, जिससे कि आखिरी गांव के आखिरी घर तक और समाज की आखिरी पंक्ति में खडे व्यक्ति तथा गरीब परिवार की आखिरी बेटी के लिए भी नयी संभावनाओं और अवसरों के द्वार खुलें। राष्ट्रपति ने कहा कि  देश की सफलता का मंत्र उसकी विविधता है। विविधता ही वह आधार है, जो हमें अद्वितीय बनाता है। इस देश में हमें राज्यों और क्षेत्रों, पंथों, भाषाओं, संस्कृतियों, जीवन-शैलियों जैसी कई बातों का सम्मिश्रण देखने को मिलता है। हम बहुत अलग हैं, लेकिन फिर भी एक हैं और एकजुट हैं।

By Editor


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