सारण जिले के छपरा की एक अदालत ने तीन वर्ष पूर्व हुए विषाक्त मध्याह्न भोजन (एमडीएम) से 23 बच्चों की मौत के मामले में आज गंडामन धर्मासती प्राथमिक विद्यालय की तत्कालीन प्रधानाध्यापिका मीना देवी को 17 साल कारावास की सजा सुनायी ।
अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश (दो) विजय आनंद तिवारी ने मामले में दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद पिछले 24 अगस्त को मीना देवी को दोषी करार दिया था । आज सजा के बिंदु पर सनवाई हुयी और उसके बाद अदालत ने दोषी को भारतीय दंड विधान की धारा 304 के तहत दस वर्ष के सश्रम कारावास के साथ दो लाख पचास हजार रूपये का जुर्माना भरने का आदेश दिया। अदालत ने धारा 308(2) के तहत दोषी को सात साल की सजा और एक लाख 25 हजार रूपये का जुर्माना भी लगाया । दोनों सजाये अलग-अलग चलेगी । अदालत ने जुर्माने की कुल राशि का 20 प्रतिशत सरकार के खाते में जमा कराने तथा शेष राशि प्रशासन के माध्यम से मृतक के परिजनों के बीच बराबर-बराबर बांटने का आदेश दिया।
गौरतलब है कि 16 जुलाई 2013 को विषाक्त मध्याह्न भोजन खाने से सारण जिले के गंडामन धर्मासती प्राथमिक विद्यालय के लगभग 50 बच्चे बीमार हो गये थे जिनमें से 23 बच्चों की मौत हो गयी थी । गंभीर रूप से बीमार कई बच्चों को बेहतर इलाज के लिए पटना मेडिकल कॉलेज अस्पताल में भर्ती कराया गया था ।