उच्चतम न्यायालय ने देश के मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव नोटिस को खारिज किये जाने के राज्यसभा के सभापति एम. वेंकैया नायडू के फैसले को चुनौती देने वाली कांग्रेस सदस्यों की याचिका आज खारिज कर दी।
सुनवाई की शुरुआत में याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने संविधान पीठ के गठन पर सवाल खड़े किये और कहा कि बगैर संदर्भ आदेश (रिफरेंस ऑर्डर) के संविधान पीठ का गठन कैसे किया गया? एटर्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने उनकी इस दलील का पुरजोर विरोध किया। उन्होंने कहा कि ऐसे कई मौके आये हैं, जब बगैर संदर्भ आदेश के संविधान पीठ का गठन किया जा चुका है। इस मामले में शीर्ष अदालत ने पूर्व में एक फैसला भी दिया हुआ है।
श्री सिब्बल ने बार-बार इस बात को लेकर जोर दिया कि संविधान पीठ के गठन को लेकर जारी प्रशासिक आदेश उन्हें दिखाया जाना चाहिए, लेकिन न्यायमूर्ति ए के सिकरी की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने ऐसा करने से मना कर दिया और कहा कि वह इस याचिका को खारिज करती है, इसके बाद श्री सिब्बल ने याचिका वापस ले ली। मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा ने इस मामले की सुनवाई के लिए जिन पांच न्यायाधीशों को चुना है, उनमें वे चारों न्यायाधीश शामिल नहीं है, जिन्होंने गत 12 जनवरी को प्रेस कांफ्रेंस करके मुख्य न्यायाधीश की कथित प्रशासनिक खामियों को उजागर करने का प्रयास किया था। न्यायमूर्ति ए के सिकरी के अलावा संविधान पीठ में न्यायमूर्ति एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति आर वी रमना, न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा और न्यायमूर्ति ए के गोयल शामिल हैं। ये सभी न्यायाधीश सूची में ये क्रमश: छठे, सातवें, आठवें, नौवें और 10वें नम्बर पर हैं।