जनसत्ता आनलाइन ने दावा किया है कि लालू प्रसाद ने नीतीश कुमार के तख्ता पलट की योजना की रूपरेखा तैयार कर ली थी और यूपी में अखिलेश के सत्ता संभालते ही तेजस्वी को बिहार का सीएम बनाना था लेकिन ऐसा नहीं हो सका.
लेकिन यूपी की चुनावी सूनामी और उसमें नरेंद्र मोदी की अगुवाई में भाजपा की प्रचंड जीत ने राजद अध्यक्ष की तैयारी को तहस नहस कर दिया।
पत्रकार ऋचा रितेश वैसे, बिहार में संभावित तख्ता पलट का संकेत यूपी के सीएम अखिलेश यादव ने भी देश के नामी पत्रकार नीरजा चैधरी को दिए एक साक्षात्कार में दिया था। अखिलेश यादव ने उनसे कहा था कि ‘‘मेरी दिल की आवाज है कि यूपी में मेरे नेतृत्व में दुबारा सरकार बनेगी। तब 2019 लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखकर मैं आगे बढ़ूगा। कांग्रेस तो साथ है ही, फिर लालू प्रसाद यादव और ममता बनर्जी के साथ मिलकर तैयारी करूंगा।’’ माना जा रहा था कि यूपी विधानसभा चुनाव की जीत अखिलेश यादव को नरेन्द्र मोदी के विकल्प के रूप में मजबूती से खड़ा कर देगी।लालू प्रसाद यादव ने लगभग मन बना लिया था कि अखिलेश यादव के यूपी मेें सीएम पद के शपथ लेने के एक महीने के अन्दर राजद का विलय सपा में करवा देंगे और फिर कांग्रेस की मदद से अपने पुत्र तथा उप-मुख्यमंत्री तेजस्वी प्रसाद यादव को बिहार में सीएम के पद पर आसीन करा देंगे। बिहार विधानसभा के कुल 243 सदस्यों में राजद के 80 तथा कांग्रेस के 27 विधायक हैं। सरकार गठन के लिए 122 विधायकों के समर्थन की दरकार होती है। कहते हैं जोड़-तोड़ के उस्ताद लालू प्रसाद यादव ने जनता दल (यू) के 25 विधायकों से दल-बदल के लिए बात पक्की भी कर ली थी। ये वही विधायक हैं जो नीतीश कुमार के शराबबंदीे कानून से आर्थिक व मानसिक रूप से त्रस्त हैं।