आज जब युवा वेलेंटाइ डे पर अपनी मोहब्बत को परवान चढ़ा रहे हैं ऐसे में उन्हें पूर्व आईपीए अफसर राज्यवर्धन शर्मा से प्रेरणा लेनी चाहिए जो पिछले 8 सालों से कोमा में पड़ी अपनी पत्नी से मोहब्बत, इबादत के रूप में कर रहे हैं.
विनायक विजेता
जब-जब 14 फरवरी यानी ‘वेलेंटाइन-डे’ आता है तो मुझे न जाने क्यों बिहार कैडर के रिटायर्ड आईपीएस अधिकारी राज्यवर्धन शर्मा की याद आ जाती है जो प्रेम और सेवा के प्रतीक हैं। 30 सितम्बर 2011 को बिहार के एडीजी पद से से अवकाश ग्रहण करने वाले राज्यवर्धन शर्मा की पारिवारिक जिंदगी काफी चुनौतियां भरी रही है।
11 वर्ष पूर्व उनकी पत्नी जयश्री शर्मा की तबियत अचानक बिगड़ गई। उसके बाद वह कभी बिस्तर से नहीं उठ सकीं। आज से साढ़े आठ वर्ष पूर्व उन्की पत्नी कोमा में चली गई जो अबतक कोमा की ही स्थिति में हैं पर वह अबतक जिन्दा हैं तो अपने पति द्वारा किए जा रहे सेवा के कारण। एक वरीय पुलिस अधिकारी की कितनी व्यस्तता रहती है इसका सहज अनुमान लगाया जा सकता है। एक बेटी और एक बेटे के पिता राज्यवर्धन शर्मा की दोनों संतान बाहर रहते हैं।
ऐकसी स्थिति में राज्यवर्धन शर्मा ने अपनी बिमार पत्नी का खुद से सेवा करने का बीड़ा उठाया। जिसका वह अबतक पालन कर रहें हैं। यह एक उदाहरण ही है कि साढ़े आठ साल तक कोई मरीज सेवा और देखभाल के कारण ही अबतक जिन्दा हो।
राज्यवर्धन शर्मा का पत्नी के प्रति यह अटूट प्रेम उन ‘वेलेन्टाइनों’ के लिए एक प्रेरणा है जो साल के एक दिन यानी 14 फरवरी को अपना प्रेम प्रदर्शित करते हैं। प्रेम के इस सबसे बड़े उदाहरण को एवं प्रेम की परिभाषा को बीते वर्षों से परिभाषित कर रहे व युवाओं को पैगाम दे रहे इस रिटायर्ड आईपीएस अधिकारी को ‘वेलेंटाइन-डे’ पर हमारी शुभकामना!