प्रधानमंत्री नरेंद मोदी ने कहा है कि भारत वैश्विक परिदृश्य व अर्थव्यवस्था में प्रभावी हस्तक्षेप के लिए तैयार है। आज नई दिल्ली में मुख्यमंत्रियों की बैठक में उन्होंने कहा कि मौजूदा वैश्विक परिदृश्य में हमारे पास लंबी छलांग लगाने का सुनहरा अवसर है और योजना आयोग के स्थान पर बनने वाली नयी संस्था देश को पूरी ताकत के साथ इस दिशा में आगे ले जाने का काम करेगी। श्री मोदी ने कहा कि पिछले दो दशकों से भी अधिक समय से योजना आयोग की भूमिका की प्रासंगिता और ढांचे पर सवाल उठाये जा रहे हैं। वर्ष 1992 में देश में आर्थिक सुधारों को लागू किए जाने के बाद सरकारी नीतियों में बदलाव की जरुरत महसूस की गई। श्री मोदी ने कहा कि वर्ष 2012 में संसदीय सलाहकार समिति ने योजना आयोग की जगह नयी संस्था बनाने की जरुरत बताई थी। बैठक में वित्त्मंत्री अरुण जेटली और गृहमंत्री राजनाथ सिंह भी मौजूद थे।
बैठक के बाद वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा है कि अधिकतर राज्य योजना आयोग के स्थान पर एक नयी संस्था के पक्ष में हैं और नये ढांचे में अपनी अधिक भूमिका चाहते हैं। तीन-चार राज्यों को छोडकर अन्य राज्य नयी संस्था के पक्ष में थे। उन्होंने बताया कि राज्यों का कहना है कि अधिकार और योजना का विकेन्द्रीकरण करने की जरुरत है। उनका यह कहना भी था कि संघीय ढांचे को मजबूत करने की जरुरत है। हालांकि नयी संस्था की अंतिम तिथि को लेकर को लेकर अभी कोई निर्णय नहीं हुआ है।
उन्होंने कहा कि बैठक में शामिल अधिकतर मुख्यमंत्रियों की राय थी कि नयी संस्था की नींव संघीय ढांचे के साथ अधिक सहयोग की होनी चाहिए। श्री जेटली ने कहा कि ज्यादातर मुख्यमंत्रियों का कहना था कि नया ढांचा बनाया जाना चाहिए जिसमें केन्द्र, राज्य और विशेषज्ञ शामिल हो सकते हैं। उन्होंने कहा कि नये ढांचे में राज्यों और निजी क्षेत्र की महत्वपूर्ण भूमिका होगी। उन्होंने कहा कि इस बैठक के बाद एक अनौपचारिक बैठक होगी, जिसमें केवल राजनीतिक नेता ही हिस्सा लेंगे और इसके लिए कोई विशेष एजेंडा नहीं है।
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