बिहार में जातिवादी राजनीति को हवा देते हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सूर्यापुरी मुसलमानों को पिछड़ा वर्ग में शामिल करने के बाद अब उन्हें अत्यंत पिछड़ा वर्ग में शामलि करने का ऐलान कर दिया है.
मालूम हो कि बिहार में पिछड़ी जातियों की दो कटेगरी है. कर्पुरी ठाकुर फार्मूले पर आधारित यह विभाजन अत्यंत पिछड़ा वर्ग एनैक्सचर एक और एनैक्सचर2 है.
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शनिवार को पोठिया प्रखंड के अर्राबाड़ी में 672 करोड़ की लागत से महानंदा नदी के किनारे साढ़े तीन सौ एकड़ भू-भाग में बन रहे कृषि महाविद्यालय का शिलान्यास करने के दौरान एक समारोह को संबोधित करते हुए यह बात कही.
इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने कहा कि सूर्यापुरी मुसलमानों के आवेदन पर गौर किया जायेगा और उन्हें फिर एनैक्सचर एक में शामिल कर लिया जायेगा.
मालूम हो कि इससे पहले शेखड़ा कुल्हैया और सूर्यापुरी मुसलमानों को पिछड़ा वर्ग में शामलि करने की घोषणा हाल ही में की गयी थी.
राज्य के पूर्वांचल के जिलों किशनगंज, पूर्णिया और किटहार आदि जिलों में सूर्यापुरी मुसलमानों की खासी आबादी है.
नीतीश कुमार का यह फैसला पूरी तरह से राजनीतिक माना जा रहा है. कोई तीन साल पहले नीतीश सरकार ने मुस्लिम मलिक बिरादरी को, जो सामान्य श्रेणी की जाति है, को पिछड़ा वर्ग में शामिल कर लिया था.
सरकार के इस फैसले का भारी विरोध भी हुआ था और इसके खिलाफ पिछड़ा वर्ग आयोग में शिकायत दर्ज करायी गयी थी. जिसके बाद आयोग ने तथ्यों की जांच के बाद पाया था कि मलिक बिरादरी को पिछड़ा वर्ग में शामिल करने का फैसला उचित नहीं था. और फिर आयोग ने कैबिनेट के समक्ष एक प्रस्ताव भेजा था जिसमें यह कहा गया था कि उन्हें पिछड़ा वर्ग से बाहर किया जाये. लेकिन कैबिनेट ने अभी तक इस पर कोई फैसला नहीं लिया है.