राज्यसभा चुनाव के लिए नामांकन दाखिल करने के बाद शरद यादव ने अपने तनावों को कम करने के लिए खैनी का सहारा लिया. इस तनाव के माहौल और शरद द्वारा होटों में दबाते खैनी पर वीरेंद्र यादव की नजर थी.
9 जून को शरद यादव के लिए विजय का दिन था। उन्होंने नीतीश कुमार के अहंकार को ध्वस्त कर दिया था। राज्य सभा की तीन सीटों के लिए होने वाले चुनाव में अपनी राह निष्कटंक बना लिया था.जबकि जदयू के शेष दो उम्मीदवारों पवन वर्मा और गुलाम रसूल बलियावी की राह में निर्दलीय के कांटे बो दिए थे। जदयू के बागियों के तेवर को लेकर अंतिम समय तक कुछ तय नहीं हो पा रहा था। 8 जून को विक्षुब्धों ने शरद यादव से मुलाकात के दौरान कह दिया था कि आपके खिलाफ कोई उम्मीदवार नहीं देंगे। लेकिन विक्षुब्धों ने आगे की रणनीति का खुलासा भी नहीं किया था।
सोमवार को करीब डेढ़ बजे जदयू के तीनों उम्मीदवार पहुंचे और बारी-बारी से अपना नामांकन भरा। साथ में नीतीश कुमार, सीएम जीतनराम मांझी और कई मंत्री मौजूद थे। संसदीय कार्यमंत्री श्रवण कुमार गुरुजी की भूमिका में थे, तो विधानपार्षद संजय गांधी क्लास के मॉनीटर की भूमिका का निर्वाह कर रहे थे। नामांकन के बाद शरद, नीतीश, मांझी, पवन, बलियावी सभी विधान सभा स्थित सीएम कक्ष में पहुंचे। वहां कुछ पल ठहरने के बाद नीतीश कुमार तुरंत बाहर निकल लिए। इस बीच कई मंत्री भी वहां जुट चुके थे। हम भी उसी का हिस्सा बन गए थे। सभी कुर्सी लेकर-लेकर बैठ गए। मुख्यमंत्री के बगल में बैठ शरद यादव खैनी खोट रहे थे।
इस बीच उनको सूचना मिल गयी थी कि और लोग नामांकन करने वाले हैं। संजय सिंह और श्याम रजक शरद जी को विद्रोहियों के नामांकन की पृष्ठभूमि समझा रहे थे। लेकिन शरद के चेहरे पर बेचैनी स्पष्ट दिख रही थी। वजह स्पष्ट थी कि किस सीट के लिए कौन नामांकन कर रहा है, यह तय नहीं था। उन्होंने खैनी को होठ में रखा और बाहर निकलने की तैयारी करने लगे। इस बीच संजय गांधी वाहन को पोर्टिको में बुलवा चुके थे।
उन्होंने शरद जी से चलने का कहा। शरद यादव खड़ा ही हुए कि नरेंद्र सिंह मुख्यमंत्री और शरद को बगल वाले कमरे में ले गए। बंद कमरे में करीब 10 मिनट तक बातचीत हुई। इस बीच दरवाजे के बाहर संजय गांधी इंतजार करते रहे। अभी कमरे में सन्नाटा पसरा हुआ था। अंदर से तीनों निकले और शरद जी बाहर निकल गए। मैं भी उनके साथ सीढ़ियों तक आया था कि पूनम देवी और रेणु कुशवाहा समेत जदयू के बागी खेमे का आगमन हुआ।
मैं भी वापस लौटा और सीधे सचिव के कक्ष में पहुंच गया। पहले साबिर आये। उनके नाम की चर्चा थी। उनके साथ अनिल शर्मा और दिलीप जयसवाल भी नामांकन करने पहुंचे। तब स्थिति साफ हुई। दिलीप जयसवाल के साथ भाजपा विधान पार्षद संजय मयूख मौजूद थे। साबिर अली, अनिल शर्मा और दिलीप जयसवाल ने बारी-बारी से नामांकन किया। इस प्रक्रिया के दौरान दिलीप जयसवाल को साबिर अली ने एनआर थमाया। इसका मतलब स्पष्ट था कि नामांकन में लगने वाली राशि का भुगतान साबिर अली ने किया।
दूसरे फेज के नामांकन के बाद हम फिर सीएम के कक्ष में पहुंचे। भीड़ पहले से कम थी। तीन सीट के बदले छह उम्मीदवार का होना सीएम के लिए चिंता का विषय था। उन्होंने अपनी चिंता भी जतायी। इस माहौल में एक नेता ने यह खबर दी कि शरद यादव के खिलाफ कोई उम्मीदवार नहीं है। उन्होंने यह भी सूचना दी कि दिलीप जयसवाल अपना नाम वापस ले लेंगे। इसके बाद सीएम भी अपने कक्ष से बाहर निकल गए।