एक समय अंग्रेजों के शोषण से त्रस्त चम्पारण के किसानों ने गांधी को चम्पारण आने की गुहार लगायी थी. और आज छत्तीसगढ़ के लोग नीतीश कुमार को गुहार लगाने आये कि वह छत्तीसगढ़ को शराबमुक्त बनायें.
छत्तीसगढ के सामाजिक कार्यकर्ताओं के आमंत्रण पर नीतीश कुमार शराबबंदी अभियान को धार देने के लिए छत्तीसगढ़ कूच करेने का मन बना चुके हैं. गुरुवार को छत्तीसगढ़ के अनेक सामाजिक कार्यकर्ता न्योता ले कर नीतीश के पास पहुंचे थे. उनके आमंत्रण पर शराबंंदी अभियान की शुरुआत करने 26 या 26 मार्च को नीतीश रायपुर जा सकते हैं.
इस दौरान एक बैठक हुई. इस बैठक के प्रति नीतीश की दिलचस्पी का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि उन्होंने सवा घंटे तक लोगों से बात की. शराबबंदी के अपने अनुभव सुनाये. इस आइडिया की शुरुआत की कहानी सुनाई. नीतीश ने कहा कि इंजीनियिरंग की पढ़ाई करते समय ही उनके मन में यह बात आई थी कि शराब से घर के घर तबाह हो रहे हैं. उन्होंने वहां के सामाजिक कार्यकर्ता मनमोहन अग्रवाल, समाजसेवी अनिता वर्मा, चंद्रशेखर आदि को बताया कि 2015 में कैसे एक कार्यक्रम में अपने भाषण के बाद वह अपनी सीट पर बैठे ही थे कि कुछ महिलाओं ने उनसे शराबबंदी की मांग रख दी.
पीएम मोदी ने बताया था महान काम
नीतीश कुमार ने अपनी कुर्सी छोड़ी और फिर माइक थाम लिया और बताया कि अगली बार सरकार बनी तो शराबंबंदी लागू कर दी जायेगी. उन्होंने कहा कि बस सरकार बनने के बाद हमने शराबबंदी की घोषणा कर दी. नीतीश ने कहा कि तमिलनाडु और केरल में हुए चुनावों में शराबबंदी को चरणवार लागू करने की बात की गयी है. यूपी-झारखंड में भी सामाजिक संगठन लगातार शराबबंदी की मांग रहे हैं. एक समय ऐसा आयेगा, जब देश भर में शराबबंदी के पक्ष में आवाज उठेगी और शराबबंद करनी पड़ेगी.
गौरतलब है कि शराबबंदी की तारीफ खुद पीएम नरेंद मोदी ने भी की थी. मोदी ने नीतीश के शराबबंदी के फैसले को महान और जोखिम भरा सामाजिक क्रांति का कदम बताया था. मोदी ने कहा था कि ऐसा जोखिम उठाने का साहस हर कोई नहीं कर सकता.