शराबबंदी के बाद से बिहार में शराब और शराबी दोनों के साथ कठोर व्यवहार होता रहा है. शराबियों को कठिन सजा तो शराब की बोतलों को रोलर से रौंद देना. लेकिन पटना के डीएम ने शराब के साथ शराफत का व्यवहार करके अलग ही मैसेज दिया है.
एडिटोरियल कमेंट
सोमवार को संजय अग्रवाल ने वह काम नहीं किया जो अकसर करते रहे हैं. यानी जब्त शराब को सड़क पर डाल कर रोलर से नष्ट करने का काम. इस बार उन्होंने एक नया प्रयोग किया है. उन्होंने 24279 विदेशी और 5886 पाउच देशी शराब जब्त किया था. इसे नष्ट करने की नयी तरकीब सोची. उन्होंने महिला समाज सेवी और नशा विरोधी अभियान में जुटी महिलाओं को आमंत्रित किया.फिर सबके साथ मिल कर सभी के हाथ में बोतलों को थमाया फिर सबने मिल कर शराब को नाले में बहा दिया.
शराब को नष्ट करने की इस तरकीब में एक संदेश है. यह संदेश बताता है कि महिलायें जो समाज का महत्वपूर्ण अंग हैं, शराब के विरुद्ध बदस्तूर खड़ी हैं. वह समाज में शराब से होने वाली बुराइयों को समाप्त करने के लिए शराब के साथ शराफत भरा व्यवहार के साथ उसका बहिष्कार चाहती हैं. बोतलों के साथ कठोर व्यवहार करना पर्यावरण के लिए नुकसानदेह तो है ही, साथ ही इससे सकारात्मक मैसेज के बजाये क्रूरता का संदेश जाता है. संजय अग्रवाल का यह प्रयोग सराहनीय है. अन्य जिलों के कोलेक्टर्स को भी इसका अनुसरण करना चाहिए. ऐसा इसलिए कि जब प्रशासन के लोग महिलाओं को इकट्ठा करेंगे और उनकी मौजूदगी में शराब को नालों में बहायेंगे तो इससे घर-घर से शराब के विरुद्ध अभियान के प्रति सहभागिता सुनिश्चित होगी. अच्छा संदेश जायेगा. इसका संदेश बच्चों तक पहुंचेगा. जो अपनी माओं से इस बात की चर्चा सुनेंगे कि वे डीएम साहब के उस अभियान में शामिल होने गयी थीं जिसमें शराब को नालों में बहाया गया.
संजय की इस पहल का एक महत्वपूर्ण संदेश और है. बिहार में शराब बंदी की मजबूती के साथ मांग महिलाओं ने ही उठाई थी. महिलाओ ने एक कार्यक्रम में नीतीश कुमार से आग्रह किया था कि वे पूर्ण शराबबंदी लागू करें. नीतीश महिलाओ की इस मांग से इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने उसी क्षण घोषणा कर दी थी कि शराबबंदी लागू होगी. संजय ने इस अभियान में महिलाओं को जोड़ कर शराबबंदी के विरुद्ध महिलाओं की भूमिका को सम्मान दिया है. इसकी प्रशंसा होनी चाहिए.