उत्तर प्रदेश के पूर्व कैबिनेट सचिव शशांक शेखर सिंह का निधन हो गया. वह कैबिनेट सचिव बनने वाले पहले और अबतक के आखिरी गैर आईएएस अधिकारी थे.

शशांक शेखर:पॉयलट से केबिनेट सचिव तक का सफर
शशांक शेखर:पॉयलट से केबिनेट सचिव तक का सफर

शशांक शेखर ने अपने करियर की शुरुआत पॉयलट के बतौर 1979 में की थी इसी दौरान उनकी निकटता उत्तर प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्रियों विश्वनाथ प्रताप सिंह और नारायण दत्त तिवारी से हुई.

इसके बाद शीघ्र ही उन्हें सिविल एवियेशन निदेशालय का निदेशक बना दिया गया.


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उनकी मायावती से निकटता ने उनके आईएएस नहीं होने के बावजूद कैबिनेट सचिव के मुकाम तक पहुंचा दिया.पिछली बार मायावती मुख्यमंत्री बनते ही उन्हें इस महत्वपूर्ण पद से नवाजा था.
लेकिन इस पद पर रहते हुए शशांक काफी विवादों में फंस गये. एचसी पांडेय और सामाजिक कार्यकर्ता संदीप पांडेय ने उनकी नियुक्ति को न्यायालय में चुनौती दे डाली. इसके बाद अदालत ने शशांक शेखर सिंह, उत्तर प्रदेश सरकार और केंद्र सरकार को नोटिस भेजकर उनकी नियुक्ति की वैधता के बारे में पूछा था.

इन सबके बावजूद जब वह 2010 में रिटायर हुए तो मायावती ने उनके कार्यकाल में दो साल का विस्तार भी दे दिया. हालांकि 2011 में अपना विस्तारित कार्यकाल पूरा करने के पहले ही उन्होंने अपने पद से इस्तीफा भी दे दिया.

63 वर्षीय शशांक के अंतिम संस्कार में बसपा मुखिया मायावती समेत बड़ी संख्या में प्रशासनिक अधिकारी, पत्रकार और बसपा के दीगर नेता मौजूद थे.
वह कैबिनेट सचिव बनने वाले पहले ही नहीं बल्कि अब तक के अंतिम अधिकारी भी थे, क्योंकि समाजवादी पार्टी की सरकार बनते ही उस पद को समाप्त कर दिया.

By Editor


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