आईपीएस अरविंद पांडेय भी कभी पाकुड़ के एसपी थे जहां के मौजूदा एसपी अमरजीत बलिहार नक्सली हमले में शहीद हो गये.वह, अमरजीत के बहाने नक्सली इलाकों की हकीकत से पर्दा उठा रहे हैं.
मै 1996 में साहिबगंज जिले का पुलिस अधीक्षक था और एक महीने के लिए पाकुड़ जिले के पुलिस अधीक्षक के भी प्रभार में था.आज दुखदायी समाचार मिला कि पाकुड़ पुलिस अधीक्षक श्री अमरजीत बलिहार एक हिंसक घटना में अपने पांच सहकर्मियों के साथ शहीद हो गए.
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साहिबगंज में मैंने मस्टर-रोल घोटाला का मुकदमा दर्ज कराया था जिसमें सिविल अधिकारियों द्वारा जाली मस्टररोल बनाकर गरीबो के लिए रोजगार की गारंटी देने वाली योजनाओं का पैसा गबन कर लिया जाता था. इस मामले में को बाद में पटना उच्च न्यायालय ने सी बी आई को अनुसंधान के लिए दे दिया था और सी बी आई ने कुछ विकास-अधिकारियों के खिलाफ आरोप पत्रित दाखिल किया पर बड़े अधिकारियों को छोड़ दिया.
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इस मामले में हमेशा की तरह टी वी विमर्श चल रहा था और मैंने एक सेवा-निवृत्त अधिकारी को यह कहते हुए सुना कि चूंकि विकास के कार्य ईमानदारी से नहीं हो रहे हैं इसलिए नक्सली ऐसी घटना अंजाम देते हैं.
इससे टी वी कार्यक्रम के प्रेजेंटर और श्रोताओं को भी ऐसा लगा कि मानों विकास योजनाओं में बेईमानी के लिए वह पुलिस पार्टी ही ज़िम्मेदार थी जिस पर कायराना हमला हुआ.इन प्रस्तुतकर्ता महाशय को शायद नहीं मालूम कि नक्सल-अपराधियों ने आज तक गरीबों की योजनाओं में लूट मचाने वाले किसी विकास-अधिकारी को नहीं मारा. क्यों ? क्योकि उसी विकास अधिकारी का दोहन करके ये अपनी लेवी इकट्ठी करते हैं.
वास्तव में ऐसे क्षेत्रों में इन अपराधियों के कारण ही अनियन्त्रित भ्रष्टाचार हो रहा है. इनको लेवी देने के बाद, अधिकारी, पूरी तरह सुरक्षित रूप से भ्रष्टाचार करता है और उसके कार्यों की जांच करने भी कोई नहीं जाता.लेवी( फिरौती) लेने के बाद ये लोग ऐसे भ्रष्ट अधिकारी को अभयदान देते हैं.” शोले ” फिल्म में गब्बरसिंह का वह संवाद यहाँ प्रासंगिक है जिसमें गब्बर कहता है ” गब्बर की ताप से तुम्हें सिर्फ एक ही आदमी बचा सकता है ……खुद गब्बर …….और इसके बदले में मेरे आदमी तुमसे थोडा अनाज, थोड़ा सामान लेते हैं तो क्या कोई जुर्म करते हैं? कोई जुर्म नहीं करते …”
यह अपराध का सार्वभौम दर्शन है. और इसी दर्शन के सहारे नक्सल-अपराधियों का व्यवसाय चल रहा है.क्या पुलिस का जवान करता है विकास योजनाओं में भ्रष्टाचार..? जिसके ऊपर इनका चोरों की तरह हमला होता है.
ऐसी घटनाओं के बाद टी वी पर विशेषज्ञ बनकर भाषण झाड़ने वालों को यह नहीं मालूम कि ऐसे हमला करने वाले गिरोह के लोग ईमानदारी से विकास का काम नहीं होने देना चाहते बल्कि वे इस आतंक के जरिये करोड़ों की लेवी वसूले जाने के अवैध व्यवसाय को जारी रखते हैं.
वैसे ये अब ज़्यादा दिन चलने वाला नहीं ह. एक समय था जब पूरा पंजाब इस तरह की घटनाओं की अग्नि में दहकता था.मगर, अब पंजाब में रावी और चिनाब के तट पर फिर हीर-रांझा की प्रेम कहानियां परवान चढ़ने लगी हैं.
अरविंद पांडेय के फेसबुक पोस्ट का सम्पादित अंश