शाहरुख खान ने ‘माई नेम इज खान’ के प्रोमोशन में पहली बार उर्दू सम्पादकों को अपने घर बुलाया था अब मंगलवार को भाजपा के पूर्व अध्यक्ष नितिन गडकरी ने ऐसा किया यह एक जैसा संयोग तो नहीं?
अमित सिन्हा
भले ही शाहरुख और नितिन गडकरी द्वार उर्दू मीडिया से विशेष बात करने के उद्देश्यों का कोई सीधा संबंध नहीं है पर यह तो तय है कि दोनों सीधे तौर पर मुस्लिम समुदाय से संवाद करना चाह रहे थे. शाहरुख ने माई नेम इज खान के जरिये दुनिया के मुसलमानों को यह बताना चाहा था कि दुनिया के सारे मुसलमान आतंकवादी नहीं है और नितिन गडकरी ने संवाद स्थापित कर बताना चाहा है कि भाजपा मुसलमानों की दुश्मन नहीं है.
शाहरुख सांस्कृतिक माध्यम से जो कहना चाह रहे थे वही काम गडकरी ने राजनीति के माध्यम से कहने की कोशिश की है.
लोकसभा चुनावों की आहट से सभी दल बेचैन हैं। जहाँ कांग्रेस नेतृत्व संकट के कारण अपने पारंपरिक वोट बैंक को दरकता देख रही है वहीं भाजपा मुसलमानों के सहयोग के बिना संशय में है.
मंगलवार को नई दिल्ली में भाजपा के पूर्व अध्यक्ष नितिन गडकरी ने पार्टी के साथ मुसलमानों को जोड़ने की जरूरत पर जोर देते हुए कहा कि मुस्लिम समुदाय में‘कांग्रेस द्वारा भाजपा के प्रति फैलाई जा रही डर की धारणा’ को दूर करके आपसी दूरियों को खत्म करने का प्रयास किया जाना चाहिए।.
गडकरी ने अपने आवास पर मंगलवार को उर्दू संपादकों को विशेष आमंत्रण दिया. उन्होने बातचीत में कहा, ‘भाजपा भी यह चाहती है और संघ में भी यह राय है कि मुस्लिम समुदाय के साथ दूरियों को कम किया जाए. धीरे-धीरे इन दूरियों को पूरी तरह खत्म किया जा सकता है. यह परस्पर संवाद से संभव है.
मालूम हो कि भाजपा के पूर्व अध्यक्ष नितिन गडकरी की छवि कभी भी हार्डकोर नहीं रही है. जबकि वे निरंतर संघ के कार्यक्रमों में सक्रिय रहे है.
मुस्लिम समुदाय को साथ लेकर चलने का इरादा दुहराते हुए गडकरी ने कांग्रेस पर आरोप लगाया कि कांग्रेस ने बीते 65 सालों से मुसलमानों के बीच भाजपा के प्रति भय की धारणा को फैलाया है. हकीकत में ऐसा कुछ नहीं है.
उन्होने कहा कि भाजपा जाति, धर्म और पंथ के आधार पर भेदभाव नहीं करती. इसके बावजूद भाजपा को मुस्लिम समुदाय में खलनायक के रूप में पेश किया गया. कांग्रेस भ्रम फैलाकर वोट बैंक की राजनीति को साध रही है. मुसलमानों के सामने सबसे बड़ी चुनौती भुखमरी, बेरोजगारी और अशिक्षा की है.
हम इन समस्याओं को दूर करना चाहते हैं।’आतंकवाद के बारे में पूछे गए एक सवाल पर गडकरी ने कहा, ‘पाकिस्तान और आई.एस.आई. हमारे देश में आतंकवाद को बढ़ावा देना चाहते हैं. इसके लिए वे धार्मिक शत्रुता का बीज बोकर अपने मंसूबे में कामयाब होने का प्रयास कर रहे हैं. मैं यह कहना चाहता हूं कि देश का बहुसंख्यक मुसलमान राष्ट्रवादी है और उसका आतंकवाद से कोई लेना-देना नहीं है.’
नितिन गडकरी इन दिनो भारतीय जनता पार्टी के दिल्ली प्रभारी हैं, और दिल्ली चुनावों में भी कम से कम 7 से 10 ऐसे विधानसभा सीट है जहाँ मुसलमानों की करवट निर्णायक हो सकती है.भाजपा का यह उर्दु मीडिया प्रेम शायद इसी राजनीतिक मजबूरी का हिस्सा है।.