गांधीजी ने पहली बार देश के राजनीतिक नेतृत्व का ध्यान किसान व गांवों की ओर आकृष्ट किया था. बिहार पुराविद् परिषद द्वारा चंपारण सत्याग्रह विषय पर आयोजित सेमिनार पटना म्यूजियम स्थित बिहार रिसर्च सोसाइटी सभागार में आयोजित किया गया
नौकरशाही डेस्क, पटना.
चंपारण सत्याग्रह सिर्फ उच्च वर्ग, रसूखदार और महाजनों का आंदोलन नहीं था, बल्कि गरीब, रैयतों, शोषित किसानों, दलितों, पीड़ितों व महिलाओं ने भी हिस्सा लिया था. इतना ही नहीं गांधीजी ने शिक्षा, स्वास्थ्य और साफ-सफाई के प्रयास चंपारण से ही शुरू किये थे. ये बातें भैरव लाल दास ने कहीं. वह बिहार पुराविद् परिषद द्वारा आयोजित चंपारण सत्याग्रह विषय पर आयोजित सेमिनार में बोल रहे थे. आयोजन पटना म्यूजियम स्थित बिहार रिसर्च सोसाइटी सभागार में किया गया था.
गांधीजी ने पहली बार देश के राजनीतिक नेतृत्व का ध्यान किसान व गांवों की ओर आकृष्ट किया था. इसका असर बाद में कांग्रेस की राजनीति पर भी पड़ा. इस अवसर पर बिहार अभिलेखागार ने गांधीजी से संबंधित दस्तावेजों को प्रकाशित करने की घोषणा की. कार्यक्रम की अध्यक्षता पटना विवि के इतिहास विभाग के पूर्व अध्यक्ष डॉ कामेश्वर प्रसाद ने की. वहीं, मंच संचालन संग्रहालय के पूर्व निदेशक डॉ उमेश चंद्र द्विवेदी ने किया. इस अवसर पर किरण कुमारी, डॉ सीपी सिन्हा, प्रो आनंद मोहन शरण आदि उपस्थित थे.