राज्य सभा के पूर्व सांसद शिवानंद तिवारी ने कहा है कि विजय माल्या का देश से फरार हो जाना केंद्र सरकार और गृह मंत्री राजनाथ सिंह की ‘ काबलियत’ का अद्भूत नमूना है। कुछ ऐसी ही ‘काबलियत’ जेएनयू प्रकरण में देखने को मिली थी। दरअसल लोकसभा चुनाव में दिखाये गये सपनों के पूरा नहीं होने से भाजपा बेचैनी में है।
सपनों को पूरा नहीं करने से बैचेन है भाजपा
श्री तिवारी ने पटना में कहा कि उत्तर प्रदेश समेत कई राज्यों का आसन्न चुनाव इस बेचैनी को बढ़ा रही है। सरकार के पास कोई काट नहीं है। इसी कारण संघ और भाजपा अपनी राजनीतिक हित साधने के लिए देशभक्त और देशद्रोही का नया विभाजन पैदा कर रही है। उन्होंने कहा कि विजय माल्या बैंकों का नौ हज़ार करोड़ रूपया लेकर देश से फ़रार हो गए। देश से वे भाग नहीं पाए, इसलिए सीबीआई ने सभी हवाई अड्डों को चेताने वाली नोटिस जारी किया था। उनके भाग जाने के बाद पता चल रहा है कि चेतावनी वाली नोटिस वापस ले ली गई थी। सीबीआई अब सफ़ाई दे रही है कि वह नोटिस ग़लती से जारी हो गई थी।
पूर्व सांसद श्री तिवारी ने कहा कि जेएनयू प्रकरण में गृहमंत्री ने बयान दे दिया कि कन्हैया और उसके साथियों का तार आतंकवादी हाफ़िज़ सईद से जुड़े हुए हैं। बाद में पता चला कि जिस ट्वीट के आधार पर वह बयान दिया गया था, वह हाफ़िज़ का था ही नहीं। उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा दिखाये सपनों के पूरा नहीं होने से नौजवानों में बेचैनी है। इसका इज़हार अलग-अलग विश्वविद्यालयों की छात्र राजनीति में प्रकट हो रहा है। भाजपा अब इस बेचैनी का तोड़ राम मंदिर में नहीं, बल्कि देशभक्ति के उन्मादी वातावरण में देख रही है। उत्तर प्रदेश का चुनाव इस प्रयोग की असली कसौटी होगी।