दिल्ली में के दुष्कर्म मामले में दिल्ली के पुलिस कमिश्नर नीरज कुमार को हटाए जाने की मांग कोई अचानक नहीं उठी है बल्कि यह उनके खिलाफ पूर्व से चल रहे सुनियोजित प्रयास का विस्तार है.
विनायक विजेता
दिल्ली की मौजूदा सरकार को कभी भी किसी बिहारी का दिल्ली के पुलिस कमिश्नर पद पर बैठना अच्छा नहीं लगा चाहे वह नीरज कुमार हों या पूर्व में वहां के पुलिस कमिश्नर रह चुके नीखिल कुमार हों.
नीरज कुमार जब से दिल्ली पुलिस के कमिश्नर बने तब ही से वह वहां की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित और उनके बेटे की आंखों में खटकते रहे हैं. चुंकि दिल्ली पुलिस केन्द्र सरकार के गूह मंत्रालय के अधीन है इसलिए शीला और उनकी सरकार द्वारा इस अधिकारी के खिलाफ तमाम कोशिश नाकाम होती गई.
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गुडिया मामले को लेकर शीला सरकार को नीरज कुमार के खिलाफ फिर से एक मुद्दा मिल गया. हो सकता है दिल्ली की मुख्यमंत्री इस मुद्दे को आधार बना एक इमानदार और अपने काम के प्रति सख्त आईपीएस अधिकारी को उनके पद से हटवाने में कामयाब हो जाएं.
मूल रुप से बिहार के निवासी नीरज कुमार 1976 बैच के केन्द्रशासित प्रदेश कैडर के आईपीएस अधिकारी हैं.अपने काम के साथ कला और संस्कृति में गहरी रुचि रखने वाले नीरज कुमार ने ही 80 के दशक में दूरदर्शन पर प्रसारित होने वाले लोकप्रिय धारावाहिक ‘मुंगेरी लाल के हसीन सपने’ की पटकथा (स्क्रीप्ट) लिखी थी. प्रकाश झा द्वारा निर्देशित यह धारावाहिक काफी चर्चित हुई थी.
जहां तक दिल्ली में दुष्कर्म का मामला है, बताया जाता है कि इस मामले में दिल्ली पुलिस के आयुक्त को जैसे ही यह पता चला कि आरोपित बिहार का है उन्होंने व्यक्त्गित रुप से बिहार के पुलिस प्रमुख अभ्यानंद से टेलीफोन पर संपर्क कर बिहार पुलिस का सहयोग मांगा. नीरज कुमार लगातार तबतक बिहार के डीजीपी के संपर्क में रहे जबतक आरोपित मनोज की मुजफ्फरपुर के चिकनौटा स्थित ससुराल से उसकी गिरफ्तारी नहीं हो गई.
इस मामले में बिहार को बदनाम करने के बजाए देशवासियों को तो बिहार के उन अधिकारियों पर गर्व होना खहिए जिन्होंने बिहार या बिहार से बाहर रहते हुए आरोपित को फरार होने का मौका दिए बिना उसकी त्वरित गिरफ्तारी कर मिशाल पेश की.