लालू यादव व नीतीश कुमार की अगुवाई में रविवार 30 अगस्त को पटना के गांधी मैदान में होने वाली स्वाभिमान रैली का मुहूर्त शुभ नहीं माना जा रहा है। भारतीय मिथक के अनुसार, परीबा (प्रतिपदा) का दिन शुभ नहीं होता है। इस दिन कोई मांगलिक कार्य नहीं होता है। वैसी स्थिति में यह सवाल उठना स्वभाविक है कि राजद-जदयू की रैली का चुनावी असर कितना शुभ होगा।
वीरेंद्र यादव
विधान सभा चुनाव को लेकर लालू यादव और नीतीश कुमार का पहला संयुक्त प्रचार अभियान कल से शुरू हो रहा है। स्वाभिमान रैली के साथ ही दोनों चुनाव में पूरी ताकत के साथ उतरेंगे। इनके साथ कांग्रेस की ताकत भी दिखेगी। परीबा के दिन बिहार की तीन राजनीतिक शक्तियां एक साथ भाजपा गठबंधन के खिलाफ शंखनाद करेंगी। लेकिन दिन चयन का मुहूर्त सही नहीं दिख रहा है। इसका असर नकारात्मक भी हो सकता है। ग्रहण के मौके पर सीएम नीतीश कुमार द्वारा बिस्कुट खाने को अशुभ बताने वाले लालू यादव परीबा के दिन नीतीश कुमार के फिर से सत्तासीन करने का अभियान शुरू कर रहे हैं, तो इसका कोई राजनीतिक मायने भी हो सकता है।
प्रतिपदा में शुरू नहीं होता है शुभ कार्य
परीबा के दिन होने वाले कार्यारंभ की हानि की आशंका की चर्चा करते हुए सुनील पाठक ने कहा कि परीबा के दिन कोई शुभ कार्य नहीं किया जाता है। इस दिन यात्रा भी शुरू नहीं की जाती है। वधू भी परीबा के दिन मायके नहीं जाती है और कन्या की विदाई भी नहीं होती है। कल आयोजित स्वाभिमान रैली के फल को भी शुभ नहीं माना जा सकता है। वैसे भी भादो माह में किसी शुभ कार्य की शुरुआत लोग नहीं करते हैं।
पीएम ने रैली की तिथि बदली
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भागलपुर में रैली की तिथि पहले 30 अगस्त ही तय थी, लेकिन बाद में तिथि बदलकर 1 सितंबर कर दी गयी। माना यह भी जा रहा है कि पीएम ने प्रतिपदा को लेकर ही रैली की तिथि में बदलाव किया होगा।
(तस्वीर: गांधी मैदान का मुआयना करते सीएम नीतीश कुमार)