राजनीति में शैतानियत इस हद तक हो सकती है कि एक नेता के खिलाफ एफआईआर दर्ज की जा सकती है और उसकी गिरफ्तारी का डंका इस तरह पीटा जा सकता है कि वह आतंकवादी हो जबकि इसी तरह की शैतान वाला बयान अगर इस देश के सर्वोच्च पद पर बैठा नेता करता है तो चुनाव आयोग से ले कर प्रशासन तक के हाथ पांव फूल जाते है.
और आयोग सोच में पड़ जाता है कि उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं होती. जनता दल राष्ट्रवादी के राष्ट्रीय संयोजक अशफाक रहमान ने पीएम नरेंद्र मोदी के शैतान वाले बयान पर कहा कि एमआईएम के नेता अकबरुद्दीन ओवौसी ने जब मोदी को शैतान कहा तो उन्हें चुनाव आयोग ने गिरफ्तार करने का वारंट जारी करवा दिया जबकि अब पीएम नरेंद्र मोदी ने इसी शब्द का इस्तेमाल लालू प्रसाद के खिलाफ किया है तो उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गयी.
रहमान ने कहा कि यह देश एक कानून से चलेगा न कि हर किसी के लिए अलग-अलग कानून होगा.
रहमान ने कहा कि हालांकि उनकी पार्टी असंसदीय भाषा के इस्तेमाल के खिलाफ है और वह किसी भी हाल में ऐसे शब्दों के इस्तेमाल करने वालों की आलोचना करती है लेकिन यहां यह बात भी ध्यान रखना चाहिए कि हमारे देश का कानून हर किसी के लिए समान होना चाहिए.
रहमान ने कहा कि मोदी ने लालू प्रसाद को शैतान कह के संबोधित किया और उसके बाद लालू प्रसाद ने जवाब में उन्हें नरपिशाच तक कह दिया. लालू प्रसाद ने जवाब में उतने ही असंसदीय शब्द का इस्तेमाल किया है इसलिए लालू प्रसाद के खिलाफ भी गिरफ्तारी वारंट जारी किया जाना चाहिए.
रहमान ने कहा कि सियासी फायदा और मीडिया में चमकने के लिए एमआईएम के नेता ने प्रवीण तोगड़िया की भाषा का इस्तेमाल किया इससे संशय की स्थिति पैदा होना स्वाभाविक है.
रहमान ने कहा कि पीएम नरेंद्र मोदी के खिलाफ भी चुनाव आयोग वही कार्रवाई करे जो उसने अकबरुद्दीन ओवैसी के खिलाफ शुरू किया है. रहमान ने कहा कि कानूनी मामले में चेहरा देख कर कार्रवाई करने से जहां एक तरफ आयोग की विश्वसनीयता कमजोर होती है तो दूसरी तरफ ऐसा करने से लोकतंत्र और भारत के सेक्युलर किरदार पर भी प्रश्न उठने लगता है.
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