2005 बैच के आईएएस अफसर कुलदीप नारायण संकट में हैं. उनका करियर दाव पर है. निगर विकास विभाग ने कुलदीप को सस्पेंड करने की सिफारिश की है. वह पटना नगरनिगम के कमिशनर हैं.
पटना नगर निगम पिछले तीन सालों से घोर अनियमितता, लापरवाही और अपने कामों को अंजाम न देने के आरोपों से घिरा है. ऐसे में नगर विकास विभाग ने कमिश्नर कुलदीप नारायण को स्सपेंड करने की सिफारिश कर दिया है. कुलदीप नारायण के खिलाफ एक तरफ राज्य सरकार पड़ी है तो दूसरी तरफ पटना के मेयर अफजल इमाम के संग उनकी अनबन जगजाहिर है.
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नगरविकास विभाग ने कुलदीप नारायण को सस्पेंड करने की अनुशंसा करने से पहले उन्हें कारण बताओ नोटिस भेजा. पर निगमायुक्त के जवाब को असंतोषजनक करार देते हुए सामान्य प्रशासन विभाग से उनके खिलाफ कार्रवाई करने की सिफारिश की है. विभाग के मंत्री सम्राट चौधरी ने नोटिस जारी कर उनसे पांच बिन्दुओं पर जवाब मांगा गया था. लेकिन इस नोटिस का जवाब देते हुए कुलदीप नारायण ने निगम के गतिरोध के पीछे वहां की राजनीति को दोषी ठहराया है.
दर असल निगमायुक्त को लेकर राज्य सरकार बेबस हो चुकी है. वह चाह कर भी उनका ट्रांस्फर नहीं कर सकती क्योंकि हाईकोर्ट ने उनके ट्रांस्फर पर रोक लगा रखी है. हाईकोर्ट ने राजधानी में अवैध निर्माण के खिलाफ चल रहे निगरानीवाद के निपटारे तक निगमायुक्त को पद पर बने रहने की हिदायत दे रखी है. लेकिन अब जिस तरह से मामले आगे बढ़ रहे हैं उससे लगता है कि कुलदीप नारायण घोर संकट में हैं.