जनता दल राष्ट्रवादी के राष्ट्रीय संयोजक अशफाक रहमान ने कहा है कि संघ के हाथों कुछ बिके हुए चेहरे इन दिंनों समाज में आपसी विवाद बढ़ाने में जुटे हैं. ये संघी मुसलमानों की नयी टोलियां हैं जो मुस्लिम इलाकों में घूम-घूम कर मुस्लिम संगठनों, मजहबी संस्थाओं और जानी-मानी हस्तियों को बदनाम कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि ये लोग संघ के हाथों बिके हुए लोग हैं जिन्हें भारत माता की जय या वंदे मातृम कहने में कोई दिक्कत नहीं हो रही है.
उन्होंने कहा कि ये लोग भगवा ब्रिगेड को खुश करने के उद्देश्य से ऐसा कर रहे हैं. उन्होंने अपने बयान में कहा कि ये वही लोग हैं जिन्हें न तो दादरी की घटना से कोई मतलब है और न ही बाबरी मस्जिद के मुद्दे से कोई मतलब है. रहमान ने कहा कि भारत माता की जय को नारे के पीछ दर असल साजिश यह है कि इस नारे के बहाने संघ मुसलमनों को दो भागों में बांटना चाहता है.
रहमान ने कहा कि भगवा टोली इस तरह के जाल बिछा रही है और आश्चर्य की बात है कि मुस्लिम रहनुमा इस जाल में फंसते भी जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि जब से केंद्र में भाजपा की सरकार आयी है तब से संघ परिवार के लोग मुस्लिम हावभाव और पहिरावे वाले लोगों को अपना हथियार बना कर उन्हें इस्तेमाल कर रहे हैं और उसी हथियार के द्वारा मुस्लिम एकता को तोड़ने की कोशिश कर रहै हैं.
ओवैसी को सलाखों में डाला, बाबा रामदेव को क्यों नहीं?
उन्होंने कहा कि यह उन्हीं की साजिश है कि वे दारुल उलूम देवबंद और मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड पर सवाल खड़े कर रहे हैं. रहमान ने ने कहा कि जब एक नादान मुस्लिम नेता ने पुलिस हटा लेने पर सबक सिखाने की बात कहता है. उन्होंने कहा कि जनता दल राष्ट्रवादी ऐसे बयानों की आलोचना करता है. साथ ही उन्होंने कहा कि जब ऐसा ही बयान एक बाबा देता है, जो कहते हैं कि कानून से हाथ बंधा है वरना लाखों की गर्दनें उड़ाने की क्षमता है. रहमान ने कहा कि ऐसे बयान से मुस्लिम नेता को सलाखों के पीछे डाल दिया गया था लेकिन इस बाबा पर कोई भी कार्रवाई नहीं की गयी.
रहमान ने सवाल उठाया कि क्या एक ही तरह के गुनाह के लिए मुसलमानों को सजा मिलेगी और हिंदुओं को सजा नहीं मिलेगी. उन्होंने कहा कि ऐसा व्यवहार सेक्युलर देश के लिए गंभीर सवाल है.
विजय माल्या गद्दार नहीं ?
रहमान ने इस बात पर आश्चर्य जताया कि जरा सी बात पर मुसलमानों को संघी मानसिकता के लोग देश छोड़ कर जाने का मशवरा देते हैं लेकिन विजय माल्या जैसे धनाढ्य जो देश का 9 हजार करोड़ रुपये ले कर भाग गया और संघी सरकार चुपचाप देखती रह गयी.
पनामा लीक में कितने मुसलमान?
रहमान ने कहा कि पनामा लीक मामले में जितने भी लोगों का नाम आया है उनमें एक बी मुसलमान नहीं है. उन्होंने कहा कि अगर देश से अरबों रुपये बाहर जमा करने वालों की सूची में किसी मुसलमान का नाम होता तो उसे गद्दार ए वतन करार दिया जाता लेकिन पनामा लीक मामले में संघी लोग चुप हैं. रहमान ने सवाल पर सवाल दागते हुए कहा कि आखिर क्या वजह है कि आतंकवाद के खिलाफ निर्णायक युद्ध लड़के देश की आबरू बचाने वाले अफसरों का कत्ल कर दिया जाता है. उन्होंने कहा कि तंजील अहमद और हमंत करकरे की हत्या की आखिर क्या वजह है.