पूर्व सांसद शिवानंद तिवारी ने कहा है कि बांका की अपनी चुनावी सभा में आरक्षण पर उठे विवाद पर नरेन्द्र मोदी कल मौन रह गए । उनके मौन से आरक्षण समर्थकों की बेचैनी बढ़ गई है। दरअसल आज चिंता सिर्फ़ आरक्षण को लेकर ही नहीं है। बल्कि हमारी प्राचीन बहुरंगी संस्कृति पर ही दिल्ली सरकार की वजह से आज संकट उपस्थित हो गया है। ऐसी स्थिति में निश्चित तौर पर बिहार का चुनाव साधारण चुनाव नहीं है।
उन्होंने जारी बयान में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने कहा है कि आरक्षण जस का तस रहेगा। उसमें कोई परिवर्तन नहीं होगा। लेकिन लोग यह आश्वासन प्रधान मंत्री के मुँह से सुनना चाहते थे। लेकिन प्रधानमंत्री ने अपनी चुप्पी से लोगों को निराश कर दिया। दरअसल आरक्षण सिर्फ़ पिछड़ों का मुद्दा नहीं है। ‘‘ पिछड़ा पावे सौ में साठ ’’ यह लोहियावादी समाजवादियों का प्रमुख नारा रहा है। इस नारा को रामानन्द तिवारी, कपिलदेव सिंह, सभापति सिंह, रामदेव सिंह आदि नेता कर्पूरी ठाकुर तथा अन्य नेताओं के साथ कंधा से कंधा मिलाकर लगाते रहे थे। समाजवादियों ने इसके लिए लंबी लड़ाई लड़ी है।
उन्होंने कहा कि मोहन भागवत आरक्षण की व्यवस्था पर विचार की बात करते हैं तो आरक्षण समर्थकों का चिंतित होना स्वाभाविक है । दरअसल वे जिस राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख हैं, वह आरक्षण व्यवस्था में यक़ीन नहीं करता है। वर्ण व्यवस्था को वह भारतीय समाज की विशिष्टता मानता है। संघ के नीतिकार गोलवलकर जी वर्ण व्यवस्था को सर्वशक्तिमान ईश्वर की चतुरंग अभिव्यक्ति मानते हैं। हमारे प्रधान मंत्री जी इसी संघ की उपज हैं। और सरकार की नकेल संघ के हाथों में हैं। तो फिर जनता का चिंतित होना स्वाभाविक है।