पूर्व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सरकार से हटने के बाद एक फिर जनता के बीच जा रहे हैं। 13 नंवबर से शुरू हो रही संपर्क यात्रा इस मायने में महत्वपूर्ण है कि इसमें मंत्रियों की ‘नो इंट्री’ लगा दी गयी है। जबकि पहले की यात्राओं में ‘भीड़ और भात’ की व्यवस्था का जिम्मा संबंधित जिले के और जिले के प्रभारी मंत्री की होती थी। लेकिन इस बार हालात बदले हुए हैं। हालांकि ‘चुपका सपोर्ट’ से किसी को परहेज नहीं है। पिछले दिनों विशेष राज्य के दर्जे के लिए पटना समेत जिला मुख्यालयों में आयोजित धरना से भी मंत्रियों को अलग रखा गया था, जिसे नीतीश कुमार और जीतनराम मांझी के बीच टकराव के रूप में देखा गया था।
नौकरशाही ब्यूरो
नीतीश कुमार पिछले आठ वर्षों में संभवत: आठ यात्रा कर चुके हैं। यह उनकी नौंवी यात्रा है। सभी यात्राओं का नया-नया नाम, नया-नया लक्ष्य। लेकिन सत्ता का रौब हर जगह विद्यमान। अधिकारियों की फौज, मंत्रियों का काफिला और कार्यकर्ताओं का हुजूम। संपर्क यात्रा की खास विशेषता है कि सोशल मीडिया का इस्तेमाल। नीतीश कुमार खुद सोशल मीडिया पर लगातार अपडेट रहे। विरोधियों पर प्रहार करने के लिए भी फेसबुक का इस्तेमाल किया।
इस यात्रा को लेकर माहौल बनाने का प्रयास करते रहे हैं। यात्रा की जुड़ी सूचनाएं भी नीतीश कुमार के साथ जदयू के अधिकृत पेज पर मौजूद है। नीतीश कुमार की सोशल मीडिया टीम से जुड़े एक साथी से यात्रा को लेकर जानकारी लेनी चाही, तो उनका जवाब था कि पेज देख लीजिए न। जदयू के विश्वस्त सूत्रों की मानें तो नीतीश कुमार ने इस बार मंत्रियों व प्रशासनिक अधिकारियों को संपर्क यात्रा से दूर रहने निर्देश दिया है। इसका पहला उद्देश्य है कि प्रशासनिक मशीनरी दुरुपयोग का आरोप नहीं लगे और दूसरा कार्यकर्ताओं के साथ अधिकाधिक सीधा संवाद हो।