गठबंधन में आपसी कटुता और मनमुटाव के बीच वरिष्ठ समाजवादी नेता शिवानंद तिवारी ने लालू व नीतीश को आपस में बात कर संवादहीनता को खत्म करना चाहिए और कोई रास्ता निकालना चाहिए.
शिवानंद तिवारी ने अपने बयान में कहा कि महागठबँधन में तल्ख़ विवाद से राज्य में राजनीतिक अस्थिरता का माहौल बना हुआ है।लालू और नीतीश के बीच संवादहीनता की वजह से मामला और बिगड़ रहा है।नीतीशजी के सामने धर्मसंकट है।वे मानते हैं कि आरोप लगने के आधार पर जीतन बाबू सहित अन्य लोगों का मैंने इस्तीफ़ा लिया है।ऐसे में तेजस्वी से इस्तीफ़ा नहीं लेना न्याय संगत नहीं है।राजद और लालूजी का कहना है कि महज़ एफ आइ आर में नाम आ जाना इस्तीफ़ा का आधार नहीं बनता है।
तिवारी के अनुसार उन मामलों से तेजस्वी का मामला अलग है।जीतनजी और अन्य के विरुद्ध बिहार सरकार की जाँच एजेंसी ने आरोप लगाया था।ऐसे में उनलोगों का मंत्रीमंडल में बने रहना नैतिक नहीं था।सरकार के किसी मंत्री के विरुद्ध उसी सरकार की कोई जाँच एजेंसी कैसे निष्पक्ष जाँच कर सकती है ! यह सवाल उठ सकता था।
लेकिन तेजस्वी के विरुद्ध राज्य सरकार ने नहीं बल्कि मोदी सरकार की सी बी आई ने एफ आई आर दर्ज किया है।सी बी आई को स्वयं नरेंद्र मोदीजी ने एक समय पिंजरे का तोता कहा था।आज पिंजरा वाला वह तोता उनके हाथ में है।राजनीतिक मामलों में उस तोते के उपयोग का पुराना रिकार्ड है।लालूजी मानते हैं कि दिल्ली की सरकार ने राजनीतिक कारणों से एफ आई आर में तेजस्वी का नाम दिया है।इसलिए राजद के लोग मानते हैं कि तेजस्वी से इस्तीफ़ा माँगना सही नहीं है।
उन्होंने कहा कि लेकिन मामला एफ आई आर से आगे जाता है तो क्या होगा ? इस सवाल पर नीतीशजी को लालूजी से बात करनी चाहिए।दोनों की बातचीत से ही रास्ता निकलेगा।बातचीत में विलंब और दोनो ओर की बयानबाज़ी कटुता बढ़ा रही है।
तिवारी ने कहा कि गठबंधन के सभी घटकों को एक-दूसरे की प्रतिष्ठा का ध्यान रखना होगा।इस पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है।अपने नेता का महिमामंडन करें और दूसरे के लिए अपमान जनक भाषा का इस्तेमाल करें इससे गठबंधन दीर्घायु नहीं पाएगा।अभी यही हो रहा है।गठबंधन के नेताओं को अपने छोटभईए नेताओं पर लगाम लगाना होगा।