बिहार में जनता दल यू के बीच जारी उठापटक के बीच सोमवार को पटना उच्च न्यायालय ने जीतन राम मांझी सरकार को झटका देते हुए नीतिगत फैसले लेने पर रोक लगा दी है.
अदालत ने कहा है कि मांझी सरकार रुटीन काम ही करे. हालांकि अदालत में इस मामले की पीआईएल शुक्रवार को डाला गया इसलिए शुक्रवार से पहले लिये गये निर्णयों पर अदालत ने कुछ नहीं कहा.
यह पीआईएल जद यू के प्रवक्ता नीरज कुमार ने पटना हाईकोर्ट में दाखिल की. उन्होंने नौकरशाही डॉट इन से कहा कि अदालत में शुक्रवार को अर्जी डाली गयी इसलिए उससे पहले के फैसले पर अदालत ने अभी कुछ नहीं कहा है.
संविदा शिक्षकों में मायूसी
गौरतलब है कि मांझी सरकार ने अनुसूचित जातियों के लिए ठेके में आरक्षण, पत्रकारों को पेंशन और सवर्णों के लिए आरक्षण देने पर विचार करने का फैसला कैबिनेट में पास किया.इतना ही नहीं मांझी सरकार आगामी कुछ दिनों में संविदा शिक्षकों को वेतनमान देने का फैसला करने वाली थी लेकिन अब लगता है कि शिक्षकों का यह मामला ठंडे बस्ते में चला जायेगा.
अदालत के इस फैसले से लाखों संविदा शिक्षकों में मायूसी हुई है. अब उनकी उम्मीदों पर पानी फिर गया है.
अदालत ने मांझी सरकार को सदन में बहुमत साबित होने तक सिर्फ रुटीन कार्य करने का निर्देश दिया है।
जद (यू) के प्रवक्ता और याचिकाकर्ता नीरज ने बताया कि फैसले में तब तक मांझी सरकार को नीतिगत फैसला लेने पर रोक लगाई गई है, जब तक सदन में मांझी सरकार बहुमत साबित नहीं कर लेती है.
इस मामले की अगली सुनवाई 19 फरवरी को होगी.
गौरतलब है कि राज्यपाल केसरीनाथ त्रिपाठी ने मांझी को 20 फरवरी को विधानसभा में बहुमत साबित करने का निर्देश दिया है.