संसद का मानसून सत्र शुरू हो गया है. सत्र की शुरूआत दोनों सदनों में लोक सभा अध्यक्ष और राज्य सभा में सभापति के अभिभाषण से शुरू हुआ. बता दें कि मानसून सत्र की शुरूआत राष्ट्रपति पद के चुनाव के साथ ही हो रही है.नौकरशाही डेस्क
उल्लेखनीय है कि इस बार संसद के मानसून सत्र में गोरक्षा के नाम पर हिंसा, कश्मीर, भारत-चीन बॉर्डर, जीएसटी जैसे मसलों पर विपक्ष सरकार को कठघरे में खड़े करने कोशिश करेगी, तो सरकार के सामने इस सत्र में इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ़ इनफॉरमेशन टेक्नोलॉजी अमेंडमेंट बिल, इम्मूवेल प्रॉपर्टी अमेंडमेंट बिल, पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप बिल, मोटर व्हिकल अमेंडमेंट बिल जैसे कई बिल पास कराने की चुनौती होगी.
वहीं, सत्र शुरू होने से पूर्व प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने संबोधन में जीएसटी को लेकर देश में नई उमंग की बात की. उन्होंने कहा कि यह सत्र अनेक रूप से महत्वपूर्ण है. 15 अगस्त को आजादी के सात दशक यात्रा पूर्ण कर रहे हैं. 09 अगस्त को सत्र के दरम्यान ही अगस्त क्रांति के 75 साल हो रहे हैं. ‘Quit India’ Movement के 75 साल का यह अवसर है. यही सत्र है जब देश को नये राष्ट्रपति और नये उपराष्ट्रपति चुनने का अवसर मिला है. एक प्रकार से राष्ट्र जीवन के अत्यंत महत्वपूर्ण घटनाओं से भरा हुआ यह कालखंड है. इसलिए स्वाभाविक है कि देशवासियों का ध्यान हमेशा की तरह इस मानसून सत्र पर विशेष रहेगा.
पीएम ने कहा कि आज मानसून सत्र का प्रारंभ हो रहा है. गर्मी के बाद, पहली वर्षा एक नई सुगंध मिट्टी में भर देती है, वैसे यह मानसून सत्र जीएसटी की सफल वर्षा के कारण, पूरा सत्र नई सुगंध और नई उमंग से भरा हुआ होगा. जब देश के सभी राजनीतिक दल, सभी सरकारें सिर्फ और सिर्फ राष्ट्रहित के तराजू पर तोल करके निर्णय करती हैं, तो कितना महत्वपूर्ण राष्ट्रहित का काम होता है, वो जीएसटी में सफल और सिद्ध हो चुका है. ‘Growing Stronger Together’ यह जीएसटी spirit का दूसरा नाम है. यह सत्र भी उस जीएसटी spirit के साथ आगे बढ़े.