उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने कहा कि देश अर्थव्यवस्था और अन्य मोर्चों पर आगे बढ रहा है लेकिन संसद में सुचारू ढंग से काम नहीं होने से वह आहत हैं। उपराष्ट्रपति के रूप में उनके एक साल के कार्यकाल पर आधारित पुस्तक , “ मूविंग ऑन..मूविंग फॉरवर्ड , वन ईयर इन ऑफिस” के विमोचन के मौके पर उन्होंने कहा , “ मैं कुछ अप्रसन्न हूं कि संसद में अपेक्षानुसार काम नहीं हो रहा है। अन्य सभी मोर्चों पर चीजें आगे बढ रही हैं । विश्व बैंक, एडीबी, विश्व आर्थिक मंच और अन्य जो रेटिंग दे रहे हैं वह प्रसन्नता का विषय है। आर्थिक मोर्चे पर जो भी हो रहा है उससे हर भारतीय को गर्व होना चाहिए। ”
पुस्तक का विमोचन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने किया। इस अवसर पर पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह , एच डी देवेगौडा, लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन , वित्त मंत्री अरूण जेटली , भाजपा के वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण आडवाणी और राज्यसभा में कांग्रेस के उप नेता आनंद शर्मा भी मौजूद थे। श्री नायडू ने कहा कि सार्वजनिक जीवन में पारदर्शिता , जवाबदेही और अनुशासन बेहद जरूरी है। उनका मानना है कि सार्वजनिक जीवन से जुड़े व्यक्ति को जनता के समक्ष अपनी उपलब्धियों और कार्यों का लेखा जोखा देना चाहिए।
आचरण को आदर्श से ज्यादा महत्वपूर्ण बताते हुए उन्होंने कहा कि सभी राजनीतिक दलों को मिलकर आम सहमति से काम करना होगा जिससे संसद सुचारू ढंग से चले। यदि संसद ठीक से चलेगी तो विधानसभाओं, निगम और अन्य निकायों को भी प्रेरणा मिलेगी और अंतत देश का युवा भी इससे सीख लेगा। उन्होंने कहा कि उनके कार्यकाल में शुरूआती सत्रों में अच्छा काम नहीं हुआ लेकिन पिछले संसद सत्र में अनुसूचित जाति , जनजाति और अन्य पिछडा वर्ग के कल्याण से संबंधित विधेयक पारित हुए जिससे सरकार की इन वर्गों को न्याय दिलाने की प्रतिबद्धता का पता चलता है।