उरी हमले में 18 जवानों की शहादत जिस आतंकी के इशारे पर ली गयी उसे वाजपेयी सरकार ने 1999 में जेल से रिहा कर अफगानिस्तान के कंधार में ले जा कर आतंकवादियों के हवाले किया था.
मसूद तब भारत की जेल में बंद था. आतंकियों ने एक विमान का अपहरण कर लिया था और उसके बदले में मसूद अजहर की रिहाई की शर्त रखी थी. मसूद को छोड़ने के लिए तब के विदेश मंत्री जसवंत सिंह को प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने विशेष विमान से कंधार भेजा था.
यह वही मसूद अजहर है जिसने 1999 में रिहाई के बाद जैश ए मुहम्मद नामक संगठन बनाया और उसके दो साल के अंदर संसद पर हमला हो गया. उस हमले को देश के स्वाभिमान पर हमला माना गया. भारतीय एजेंसियों का दावा है कि उस हमले के पीछे मसूद अजहर का हाथ था. इतना ही नहीं कुछ महीने पहले सियालकोट आर्मी बेस पर जो हमला हुआ उस हमले का गुनाहगार भी मसूद अजहर को माना गया. और अब पिछले रविवार को कश्मीर के उरी सेक्टर में पिछले 26 सालों में सबसे बड़े हमले का मास्टरमाइंड भी मसूद अजहर ही है, ऐसा अभी तक की जांच में भारत सरकार का दावा है.
सोशल मीडिया पर लोग वाजपेयी सरकार के उस फैसले पर सवाल उठा रहे हैं जिसके तहत मसूद अजहर को छोड़ा गया. अगर मसूद अजहर को छोड़ा नहीं जाता देश को तीन हमलों में अपने दर्जनों जवानों की शहादत नहीं देनी पड़ती.
जैश ए मुहम्मद पर भारत, कनाडा, आस्ट्रेलिया यूके और अमेरिका के अलावा पाकिस्तान ने भी बैन लगा रखा है लेकिन पाकिस्तान में इस संगठन को खूब सहायाता दिये जाने का आरोप भी लगता है. जैश ए मुहम्मद कश्मीर को भारत से अलग करने का सपना पालता है.