संसद के दोनों सदनों की मानसून सत्र की कार्यवाही आज अनिश्चित काल के लिये स्थगित कर दी गई। लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने प्रश्नकाल पूरा होने पर दोपहर 12 बजे आवश्यक दस्तावेज सदन के पटल रखवाये। इसके बाद विधि एवं न्याय मंत्री डी वी सदानंद गौड़ा ने उच्चतम न्यायालय एवं उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों के वेतन एवं सेवा शर्तों संबंधी कानून में संशोधन का विधेयक तथा वित्त राज्य मंत्री जयंत सिन्हा ने भारतीय न्यास (संशोधन) विधेयक 2015 पेश किये। तत्पश्चात अध्यक्ष ने मानसून सत्र की कार्यवाही अनिश्चित काल लिये स्थगित करने की घोषणा की। उधर राज्यसभा की कार्यवाही भी अनिश्चित काल के लिए स्थगित कर दी गयी।
संसद का मानसून सत्र ललित मोदी प्रकरण और व्यापम घोटाले को लेकर विपक्ष के हंगामे की भेंट चढ गया और कार्यवाही में लगातार बाधा डालने के कारण लोकसभा से कांग्रेस के 25 सदस्यों को निलंबित करना पड़ा। विपक्ष के हंगामे के कारण दोनों सदनों के 116 घंटे पूरी तरह बर्बाद हो गये और केवल 54 घंटे ही कामकाज हो सका और इस दौरान भी काफी समय शोर शराबा होता रहा। इसके कारण आर्थिक सुधारों के लिए महत्वपूर्ण माना जा रहा वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी)से संबंधित संविधान संशोधन विधेयक एक बार फिर लटक गया।
सरकार बहुचर्चित भूमि अधिग्रहण संशोधन विधेयक पारित कराने की अपनी इच्छा पूरी नहीं कर पायी, क्योंकि संसद की संयुक्त समिति सत्र के अंत तक भी अपनी रिपोर्ट नहीं दे पायी। अब इन दोनों विधेयकों के अगले सत्र में लाया जायेगा। सत्र की शुरूआत से ही कांग्रेस तथा कुछ अन्य विपक्षी दल ललित मोदी प्रकरण में विदेश मंत्री सुषमा स्वराज तथा राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे और व्यापम घोटाले में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के इस्तीफे की मांग को लेकर दोनों सदनों की कार्यवाही बाधित करते रहे।