सोमवार को औरंगाबाद-गया सीमा के डुमरी नाला के पास माओवादियों से हुए मुटभेड़ के बाद चलाए गए सर्च ऑपरेशन में पुलिस ने एक अति घातक हथियार ‘अंडर बैरल ग्रेनेड लांचर (यूबीजीएल)’ बरामद किया है।
विनायक विजेता
इस हथियार की खासियत यह है कि इससे हवा में उड़ते हैलीकॉप्टर को भी मार गिराया जा सकता है। इस हथियार की बरामदगी से पुलिस और खुफिया एजेंसियों को यह आशंका है सोमवार को लगातार तीन दर्जन लैंड माइंस का विस्फोट कर सीआरपीएफ के दस जवानों की शहादत लेने वाले नक्सलियों का कनेक्शन छत्तीसगढ़ में सक्रिय माओवादियों से है।
पुलिस को शक है कि बरामद यूबीजीएल वही है जिसे माओवादियों ने कुछ वर्ष पूर्व बस्तर में सीआरपीएफ पर हमला और सीआरपीएफ के जवानों की हत्या कर लूटा था। छत्तीसगढ़ में सक्रिय माओवादियों के हाथ उस वक्त भी ‘यूबीजीएल’ सहित कई अत्याधुनिक और घातक हथियार हाथ लगे थे जब 300 माओवादियों के एक दल ने 6 अप्रील 2010 को दंतेवाड़ा जिला के चिंतलानार गांव के जंगलों के पास सीआरपीएफ के एक बड़े दल की चौतरफा घेराबंदी कर सीआरपीएफ के 76 जवानों की हत्या कर दी थी।
इस घटना में 8 माओवादी भी मारे गए थे। सूत्रों की माने तो छत्तीसगढ़, बिहार और झारखंड में सक्रिय माओवादियों को श्रीलंका से भागे लिट्ठे के सदस्य अत्याधुनिक हथियार चलाने का प्रशिक्षण दे रहे हैं।
2009 में जब श्रीलंका में लिट्ठे का पूरी तरह सफया हो रहा था तो लिट्ठे के कई सदस्य समुद्र के रासते भारत आ गए जो अबतक माओवादियों के संरक्षण में हैं।
डुमरी नाला से बरामद यूबीजीएल दंतेवाड़ा से लूटा गया या बस्तर से इसकी अभी आधिकारिक पुष्टि तो नहीं हुई पर इस हथियार की बरामदगी ने यह संकेत जरुर दे दिया है कि सोमवार को माओवादियों के कई शीर्ष नेता औरंगाबाद-गया सीमा के डुमरी नाला के पास गोपनीय बैठक के लिए जूटे थे जिनकी सुरक्षा के लिए ही यह घातक हथियार माओवादियों के पास थे।