राज्य में दवा घोटाले की आग अभी ठंडी भी नहीं हुई है कि बक्सर में स्वास्थ्य विभाग का एक नया कारनामा सामने आ गया है। बक्सर-चौसा मार्ग पर हदीपुर गांव के समीप भईया-बहिनी पुल पर भारी मात्रा में सरकारी दवाइयां फेंकी हुयी पायी गयी हैं। सड़क पर बिखरी दवाइयों को देखने के लिए राहगीरों और ग्रामीणों की भीड़ एकत्र हो गयी। हालांकि मामले की जानकारी मिलते ही स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी लीपापोती में जुट गए।
बबलू उपाध्याय ,बक्सर
प्राप्त जानकारी के अनुसार, सड़कों पर बिखरी सरकारी दवाओं पर बिहार सरकार का मोनोग्राम भी है। सड़क पर ये दवाइयां कहां से आईं, इसका जबाब अब किसी के पास नहीं है। सुबह जब ग्रामीण सड़क पर निकले तो भारी मात्रा में सरकारी दवाइयों को सड़क पर बिखरा देखा। जानकारी के मुताबिक, इन दवाओं में मेमेंडाजोन के टैबलेट और बेंजाइल बेन्जोएड का सिरप शामिल है। दरअसल मेमेंडाजोन पेट का किरी मारने की, जबकि बेंजाइल बेन्जोएड खुजली की दवा है।
मौके पर पहुंचे स्वास्थ्य विभाग से जुड़े लोगों ने आनन-फानन में सड़कों पर बिखरी दवाओं को समेटना शुरू कर दिया, ताकि लोगों की नजरों से इसे बचाया जा सके। मौके पर पहुंचे बक्सर के सिविल सर्जन लक्ष्मण प्रसाद ने मामले पर पूरी तरह से पर्दा डालने की कोशिश की। सिविल सर्जन ने मामले को गंभीर तो माना पर इन दवाओं को अपने क्षेत्र का होने से ही इंकार कर दिया। अक्सर लोगों को इस बात की शिकायत रहती है कि उन्हें सरकारी अस्पतालों में जरुरत की दवाइयां नहीं मिल पाती और मजबूरन उन्हें बाहर से दवाइयां लेनी पड़ती है। तो क्या कहा जाय की सरकारी दवाइयां जरूरतमंद मरीजों को देने के बजाय यूं ही लावारिश हालत में सड़कों पर फेंकने के लिए हैं। बहरहाल इस मामले ने न केवल स्वास्थ्य विभाग की पोल खोलकर रख दी है, बल्कि स्वास्थ्य विभाग के बेहतर प्रबंधन पर भी सवाल खड़ा कर दिया है।