मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी केंद्र सरकार में शामिल बिहार के सात मंत्रियों को ‘सतभईया सरकार’ कहते हैं। उन्होंने कल एक कार्यक्रम में कहा था कि यदि विकास में सहयोग नहीं करेंगे तो इन मंत्रियों को बिहार में प्रवेश नहीं करने देंगे। लेकिन ये मंत्री तो आमंत्रण के बाद भी बिहार नहीं आ रहे हैं। आज ग्रामीण विकास विभाग द्वारा पटना में ‘सांसद आदर्श ग्राम योजना’ के तहत उन्मुखीकरण कार्यशाला का आयोजन किया गया था। इसके लिए राज्य के सभी सांसदों के साथ सभी जिलों के जिलाधिकारियों को भी आमंत्रित किया गया था।
नौकरशाही ब्यूरो
कार्यशाला मकसद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की महत्वाकांक्षी ‘सांसद आदर्श ग्राम योजना’ से जुड़ी जानकारी उपलब्ध कराना था। इस संबंध मे गाइडलाइन बताना था। लेकिन इसमें सात में सिर्फ एक मंत्री रामकृपाल यादव ने ही भाग लेना जरूरी समझा, बाकी शेष मंत्री गायब रहे। इसमें यह बताया गया कि बिहार के 56 सांसदों में 10 सांसदों ने अपने लिए पंचायतों का चयन अभी तक नहीं किया है, जबकि इसके लिए अंतिम तारीख 11 नवंबर ही निर्धारित थी। हालांकि यह नहीं बताया कि किन-किन सांसदों ने अभी तक अपने लिए गांवों का चयन नहीं किया है। यह भी बताया कि सांसद आदर्श ग्राम योजना में गांवों के चयन में देश बिहार अव्वल है। बिहार के 82 फीसदी यानी 46 सांसदों ने गांवों का चयन कर लिया है।
इस संबंध में ग्रामीण विकास विभाग के आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि इस योजना के लिए अलग से कोई राशि का आवंटन नहीं किया गया है, बल्कि गांवों के विकास के लिए जो योजनाएं संचालित हो रही हैं, उन्हीं योजनाओं की निगरानी और कार्यान्वयन करना है, ताकि उसका शत-प्रतिशत लाभ आम लोगों तक पहुंच सके। कार्यशाला में बिहार सरकार के ग्रामीण विकास द्वारा चलाए जा रहे कार्यक्रमों की जानकारी भी दी गयी। कार्यक्रम में कई सांसद और उनके प्रतिनिधि भी मौजूद थे।
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