जदयू के वरिष्ठ नेता व पूर्व सीएम नीतीश कुमार ने स्वीकार किया है कि सत्ता व संग्ठन में दूरी बढ़ने के कारण लोकसभा चुनाव में पार्टी की हार हुई। बुधवार को औरंगाबाद में अपनी संपर्क यात्रा के दौरान राजनीति कार्यकर्ता सम्मेलन को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि इस बात का अहसास हमें लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान हुआ। हमारे पास संभलने व सुधारने का समय भी नहीं बचा था। उन्होंने कहा कि सत्ता व संगठन की दूरी को पाटने का पूरा प्रयास किया जा रहा है। साथ ही भरोसा दिलाया कि पार्टी कार्यकर्ताओं को सत्ता में भागीदारी व हिस्सेदारी भी दी जाएगी।
श्री कुमार ने कहा कि हमने बिहार के विकास के लिए पूरी ताकत लगा दी और बिहार जैसे पिछड़े प्रदेश को विकास के मामले में आगे ले जाने को चुनौती के रूप में स्वीकारा। इस क्रम में संगठन और अपने लोगों से कहीं न कहीं कहीं हमारी दूरी बढ़ी। यही कारण रहा कि लोकसभा चुनाव में हार का सामना करना पड़ा। पूर्व सीएम ने कहा कि हमने इस हार की नैतिक जिम्मेवारी ली और लोगों के लाख कहने के बावजूद मुख्यमंत्री पद से दूर हुआ और उसी दिन संकल्प लिया कि अपने लोगों से बात करूंगा। पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि वह फिर लोगों के बीच जा रहे हैं और उनका विश्वास हासिल कर रहे हैं।
श्री कुमार ने केंद्र सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि मनरेगा, इंदिरा आवास जैसे केन्द्र प्रायोजित योजनाओं की राशि काटी जा रही है। नौजवानों के लिए स्वीकृत नौकरियों पर रोक लगा दी गयी है। उन्होंने बिहार को विशेष दर्जा दिलाने का संकल्प दुहराया और कहा कि जब तक राज्य को विशेष दर्जा नहीं मिल जाता, उनका आंदोलन जारी रहेगा। अब बिहार को आगे बढ़ने से कोई रोक नहीं सकता।