खबर है कि मोदी सरकार बाबुओं के कामकाज के तरीकों को बदलते हुए राजीव गांधी के सप्ताह में पांच दिन काम के नियम को बदल कर छह दिन कर सकती है.
अमर उजला डॉट कॉम में विनोद विनोद अग्निहोत्री की रिपोर्ट के मुताबिक मोदी सरकार के इस फैसले पर आरएसएस भी सहमत है.संघ नेतृत्व मानता है कि राजीव गांधी ने यह व्यवस्था पश्चिमी देशों केमॉडल से प्रभावित होकर की थी, जिसे बदला जाना चाहिए.
अमर उजाला ने अपन सूत्र का हवाला देते हुए लिखा है कि इसके लिए सरकारी दफ्तरों के खुलने का समय सुबह साढ़े नौ बजे से बढ़ाकर दस बजे और बंद होने का समय शाम छह बजे से घटाकर साढ़े पांच बजे करने या शनिवार को आधा दिन का कार्यदिवस करने या महीने में पहला और तीसरा शनिवार पूरा अवकाश रखने के विकल्पों पर भी विचार किया जा सकता है. हालाकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस विषय पर अपने वरिष्ठ अधिकारियों की सलाह मांगी है. केंद्र सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि प्रधानमंत्री बनने के बाद नरेंद्र मोदी रोज सुबह आठ बजकर पचास मिनट पर कार्यालय पहुंच रहे हैं.
गौरतलब है कि पहले केंद्र सरकार के दफ्तर छह दिन खुलते थे। लेकिन 1984 में जब राजीव गांधी चुनाव जीतकर आए तो उन्होंने यूरोप और अमेरिका की तर्ज पर भारत में भी केंद्र सरकार के दफ्तरों में सप्ताह में पांच दिन के कामकाज की व्यवस्था लागू की.
इसके लिए सरकारी दफ्तरों में सुबह दस की बजाय साढ़े नौ बजे कामकाज शुरु होने और शाम साढ़े पांच बजे की बजाय छह बजे काम बंद होने का समय कर दिया गया.
राजीव सरकार का तर्क था कि इससे कर्मचारियों की काम की क्षमता बढ़ेगी, क्योंकि एक दिन के साप्ताहिक अवकाश में कर्मचारी छह दिन के काम के बोझ से इतना थक जाते हैं कि अवकाश का दिन उनके आराम में निकल जाता है और वह अपने पारिवारिक व घरेलू काम के लिए समय नहीं निकाल पाते। तब दफ्तरों से गायब होकर निजी काम करने की प्रवृत्ति बढ़ती है.