राज्यपाल केशरी नाथ त्रिपाठी ने शिक्षा व्यवस्था में एकाग्रता को ज्यादा से ज्याद महत्व देने की वकालत की है.त्रिपाठी ने कहा कि सफलता की ऊचाई हासिल करने के लिए एकाग्रचित होना महत्वपूर्ण शर्त है.
नौकरशाही डेस्क
वरिष्ठ आईएएस अफसर विजय प्रकाश की पुस्तक ‘अपनी एकाग्रता कैसे बढ़ाएं’ का विमोचन करने के बाद ये बातें कहीं. पटना के राजभवन में आयोजित इस समारोह में राज्यपाल ने पुस्तक की पहली प्रति लेखक की माता विजया दास को भेंट की.
इस अवसर पर शिक्षा मंत्री पीके शाही ने लेखक विजय प्रकाश की सृजनता और उनके बहुआयामी व्यक्तित्व की प्रशंसा करते हुए कहा कि विजय प्रकाश प्रशासनिक कामों में जितने दक्ष हैं, उद्यमशीलता और सृजनशीलता जैसे गुणों से भी वह पूर्ण हैं. शाही ने इस बात पर जोर दिया कि एकाग्रता न सिर्फ शिक्षा बल्कि जीवन के हर क्षेत्र में कामयाबी के लिए आवश्यक है.
क्यों लिखी यह पुस्तक
इससे पहले विजय प्रकाश ने अपनी पुस्तक लिखने की पृष्ठभूमि की चर्चा करते हुए कहा कि 20 वर्ष पहले जब वह सर्वशिक्षा अभियान से जुड़े तो उन्हें इस बात का एहसास होने लगा कि सीखने और नयी चीजों को जानने के लिए एकाग्रता का होना बहुत जरूरी है. उन्होंने इसके बाद एकाग्रता पर काम करना शुरू किया. विजय प्रकाश ने कहा कि एकाग्रता जैसे विषय पर सबसे पहले स्वामी विवेकानंद के एक कथन से गुजरे जिसमें उन्होंने यह इच्छा जतायी की दूसरे जन्म में वह एकाग्रता की शक्ति प्राप्त करना चाहते थे ताकि वह ज्यादा से ज्यादा अध्ययन कर सकें. विजय प्रकाश ने कहा कि दुनिया के तमाम धर्म एकाग्रता पर जोर देते हैं.
सभी मजहब में एकाग्रता पर जोर
इस मामले में किसी भी धर्म में कोई मतभेद नहीं है. पैगम्बर मोहम्मद साहब ने एकाग्र हो कर हिरा की गुफाओं में एकाग्र हो कर मनन किया था. इसी तरह ईसा ने कहा कि तुम्हारी दृष्टि अगर एकाग्रचित हो जाये तो पूरा शरीर प्रकाशमय हो जायेगा. उन्होंने कहा कि प्राचीन काल से एकाग्रता के विकास में आश्रमों में जोर दिया जाता था.
विजय प्रकाश ने कहा कि दुनिया के तमाम सफल व्यक्तियों में एक बात कॉमन है कि उनमें गजब की एकाग्रता होती है. उन्होंने कहा कि सचिन तेंदुलकर हों, लता मंगेशकर हों या वैज्ञानिक सीवी रमण, तमाम सफल लोगों के व्यक्तित्व पर अगर गौर किया जाये तो उनके सफल व्यक्तित्व का राज उनकी एकाग्रता ही दिखती है. विजय प्रकाश ने कहा कि इस पुस्तक में उन्होंने एकाग्रता के विभिन्न पहलुओं को रखने की कोशिश की है.
विजय प्रकाश ने कहा कि इस पुस्तक के लिखने की उनकी सिर्फ एक मंशा है कि एक ऐसा शैक्षिक माहौल बनाया जाये जिसमें सब सफल हों, कोई असफल न रहे.
इस अवसर पर शिक्षाविद शमशाद हुसैन ने एकाग्रता पर एकाग्र हो कर उमदा पुस्तक लिखने के लिए लेखक को बधाई दी. समारोह में स्वामी भावात्मानंदजी ने स्वामी विवेकानंद की अद्भुत एकाग्रता उल्लेख किया और बताया कि जीवन में सफलता का मूलमंत्र एकाग्रता ही है.
पुस्तक को प्रभात प्रकाशन ने छापा है. इस अवसर पर प्रकाशन के पीयुष कुमार ने लोगों का स्वागत किया. इस अवसर पर वरिष्ठ पत्रकार श्रीकांत और एलिट इंस्टिच्युट के निदेशक अमरदीप झा गौतम समेत सामाजिक-राजनीतिक क्षेत्र के सैकड़ों लोग मौजूद थे.