इस्लामी विद्वान और मदरसा सबलपुर के संस्थापक मौलाना हजर कासमी के जनाजे में पटना के गांधी मैदान में जन सैलाब उमड़ पड़ा. उनका निधन ब्रेन हेमरेज के कारण 29 जनवरी को सुबह हो गया था.
इस्लामी विद्वान और मदरसा सबलपुर के संस्थापक मौलाना हजर कासमी के जनाजे में पटना के गांधी मैदान में जन सैलाब उमड़ पड़ा. उनका निधन ब्रेन हेमरेज के कारण 29 जनवरी को सुबह हो गया था.
सोशल मीडिया पर मौलाना की मौत की खबर के बाद शोक व्यक्त करने वाला का तांता लगा हुआ है. मौलाना जमियत उलमा ए हिंद, के बिहार प्रदेश के अध्यक्ष थे. मौलाना कासमी एक बड़े चिंतक के साथ साथ शिक्षाविद भी थे. उन्होंने पटना सिटी के करीब सबलपुर के मदरसे की स्थापना की थी जो बिहार भर में विख्यात थे. मौलाना, मदरसा शमसुल होदा पटना के प्रिंसिपल भी रह चुके थे.
[tabs type=”vertical”][tabs_head][tab_title][/tab_title][/tabs_head][tab] [/tab][/tabs]
मौलाना की लोकप्रियता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि उनका जनाजा पढ़ने की बात तय हुई तो लोगों ने प्रस्ताव रखा कि पटना शहर के लोगों के लिए गांधी मैदान में जनाजा का एहतमाम किया जाये. जबकि जनाजे की दो नमाज में से एक मदरसा सबलपुर में तो दूसरा उनके पैतृक गांव भागलपुर के कौराडीह में पढ़ाने का फैसला लिया गाया.
जनाजे की नमाज मौलाना महमूद मदनी ने पढ़ाई.
मौलाना की मौत पर अनेक लोगों ने गहरे रंज व गम का इजहार किया है. साथ ही सोशल मीडिया पर हजारों लोग अपना शोक संदेश पोस्ट कर रहे हैं.
मोहमम्द आफान मंसूरपुरी ने अपने पोस्ट में लिखा है कि मौलाना कासमी अपने आप में एक संस्था थे. इतने बड़े पद और बड़ी जिम्मेदारियों के बावजूद उनमें खाकसारी कूट कर भरी थी. उनका इस दुनिया से जाना बौद्धिक वर्ग के लिए अपूर्णीय नुकसान है.
जामिया मदनिया सबलपुर के मौलाना सुहैल अख्तर मुजफ्फरपुरी ने लिखा है कि मौलाना की मौत उलेमा ए बिहार के लिए बहुत बड़ी क्षति है.
मौलाना कासिम ने जहां शिक्षा के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान दिया था वहीं दूसरी तरफ उन्होंने सामाजिक गतिविधियों में भी बड़ा योगदान किया था. वह जमियत उलमा ए हिंद के बिहार प्रदेश के अध्यक्ष भी थे.