पटना कथासाहित्य और काव्यसौष्ठव के लिए विख्यात प्रफुल्ल चंद्र ओझा मुक्त‘ समकालीन हिंदी साहित्य के एक अत्यंत महत्त्वपूर्ण हस्ताक्षर थे। साहित्य की सभी विधाओं में उन्होंने अधिकार पूर्वक लिखा। आकाशवाणी से सक्रियता से जुड़े रहे। वे मंचों की शोभा हीं नही विद्वता के पर्याय भी थे। उन्हें हिंदी साहित्य के विशाल प्राचीर के सुदृढ़ स्तम्भ के रूप में सदा स्मरण किया जाता रहेगा।

यह बातें आज यहाँ मुक्त‘ जी की जयंती के अवसर पर आयोजित समारोह और कविगोष्ठी की अध्यक्षता करते हुएसम्मेलन अध्यक्ष डा अनिल सुलभ ने कही। डा सुलभ ने कहा किउनकी भाषा बहुत हीं प्रांजल और मुग्धकारी थी। उनके गद्य में भी कविता का लालित्य और मधुर श्रिंगार देखा जा सकता है। वे एक उच्चश्रेणी के पत्रकार और संस्मरणकार भी थे।

अतिथियों का स्वागत करते हुएसम्मेलन के उपाध्यक्ष डा शंकर प्रसाद ने कहा कि मुक्त जी का साहित्य उनके व्यक्तित्व के समान हीं आकर्षक है। वे सदा मुस्कुराते रहनेवाले सुदर्शन साहित्यसेवी थे। उनकी भावप्रवण चमकती आँखें और उनकी सुंदर लिखावट मोहित करती थीं। सुप्रसिद्ध कथाकार छट्ठू ठाकुरडा नागेश्वर प्रसाद यादव तथा अंबरीष कांत ने भी अपने विचार व्यक्त किए।

इस अवसर पर आयोजित कवि गोष्ठी का आरंभ कवि राज कुमार प्रेमी की वाणीवंदना से हुआ। इसके पश्चात शेरोंसुख़न और कविताओं की धारा गए शाम तक बहती रहीजिसमें श्रोतागण डूबते उतराते रहे। वरिष्ठ शायर आरपी घायल ने इन पंक्तियों में नसीहत दी कि, “किसी की हार का मतलब है जज़्बे की कमी उसमेंबिना जज़्बात के कोई सिकंदर हो नही सकताज़मीन से जुड़ने की हसरत नहीं है जिसके सीने मेंपसीने से बदन उसका कभी तर हो नही सकता।

डा शंकर प्रसाद ने जब तरन्नुम से यह ग़ज़ल पढ़ी कि, “ पूछता जा मेरी दहलीज़ से जाने वालेक्या गुजरती है तेरी जान पे मरने वाले“, तो श्रोताओं के आहआह और वाहवाह से सम्मेलन गूँज उठा। व्यंग्य के वरिष्ठ कवि ओम् प्रकाश पांडेय प्रकाश‘ ने इन पंक्तियों से नक़ली मूछों पर चुटकी ली कि, “ढक्कन को तो बहुत देखा था मगरपेंदी को कभी ढकते नही देखाअसली को तो ख़ूब देखा मगर नक़ली मूँछों को पकते नहीं देखा

युवा कवयित्री नंदनी प्रणय ने यों फ़रमाया कि, “चलो आज कुछ बात नयी की जाएकुछ ऐसा कि मरने वाला भी जी जाए। डा विनय कुमार विष्णुपुरीबच्चा ठाकुरश्रीकांत व्याससुनील कुमार दूबेकृष्ण मोहन प्रसादकवयित्री पूजा ऋतुराजशर्मिष्ठामो सुलेमानजय प्रकाश पुजारीकुमारी मेनकाशुभ चंद्र सिन्हाअश्वनी कुमारनेहाल कुमार सिंह निर्मलराज किशोर झा तथा विष्णुदेव साह ने भी अपनी रचनाओं से श्रोताओं पर प्रभाव डालने में सफल रहे। मंच का संचालन कवि योगेन्द्र प्रसाद मिश्र ने किया।

2 Attachments

By Editor


Notice: ob_end_flush(): Failed to send buffer of zlib output compression (0) in /home/naukarshahi/public_html/wp-includes/functions.php on line 5427