प्रमोद कुमार और सुशील कुमार की पहल पर फिर से शुरू की गयी साहित्यिक संस्था समन्वय ने रविवार को पटना के जनशक्ति भवन में युवा कवितायी पर एक कार्यक्रम आयोजित किया. इस कार्यक्रम में युवा कवियों ने अपनी कविता पेश की. खास बात यह रही कि कुछ कवि तो अपने जीवन में पहली बार मंच पर कविता पाठ पढ़ कर अभिभूत थे.samanwai

प्रत्यूष चंद्र मिश्रा, समीर परिमल और कुमार रजत का काव्य पाठ हुआ. संतोष,सुधीर, दीपक और विकास राज ने भी अपने कलाम पेश किए. इस कार्यक्रम की अध्यक्षता आलोकधन्वा ने की जबकि सुशील कुमार ने संचालन की जिम्मादारी बखूबी निभायी.

प्रत्यूष ने ‘ठग’ ढेंकी , हमारी भी आवाज़, फगुआ के बिहान,पुनपुन, कौवे और मोबाइल नाम कविता सुनायी.  जबकि  समीर परिमल ने कुछ गजलें और नज्में सुनायी. उनकी गजल का यह शेर- दूर आंखों से गर गये वालिद/ कौन कहता है कि मर गये वालिद

रजत ने पत्रकार और पत्रकारिता के हालत पर अपनी कविता सुना कर वाहवाही लूटी. जबकि विकास के इस शेर पर श्रोताओं ने जोरदार तालियां बजायी- मैं कहीं भी रहूं मेरी खबर रखती है/ वो बेवफा होके भी मुझपे नजर रखती है.

अपने अध्यक्षीय भाषण में  आलोक धन्वा ने युवा कवियों को संबोधित करते हुए समन्वय के इस प्रयास को सराहा. इस अवसर पर पचास से भी ज्यादा पत्रकार, सामाजिक कार्यकर्ता, सरकारी कर्मी, साहित्यकार समेत अने लोग मौजूद थे. इनमें संजय कुमार कुंदन, विनीत, अनीश अंकुर, अरुण सिंह, साकेत कुमार, संजीत कुमार, राजेश कमल, भीम के अलावा अन्य लोगों ने कविता का आनंद लिया. धन्वाद ज्ञापन जयप्रकाश ने किया.

By Editor


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