दिल्ली के शिक्षा मंत्री मनीष सिसौदिया आज जिस सचिवालय की कुर्सी पर बैठे हैं वहां से,कभी मुख्यमंत्री शीला दीक्षित ने उन्हें घसीटवा कर बाहर फेकवा दिया था. सिसोदिया ने उस पल को याद किया है.
शिक्षा मंत्री का पद संभालने के बाद जब सचिवालय पहुंचे तो अपने पहले अनुभवों को अपने फेसबुक पेज पर साझा कहते हुए कहा कि अगर ” संतोष होती तो शायद बगल की सीट पर बैठी होती. सचिवालय में कदम रखते वक्त आज बहुत याद आई संतोष.दो साल पहले मुझे और संतोष को इसी सचिवालय से बाहर निकलवा कर फिंकवाया गया था”.
मनीष सिसोदिया मुख्यमंत्री से मिलने संतोष कोली के साथ गये थे. संतोष एक सामाजिक कार्यकर्ता थीं जिनका इस वर्ष 320 जून को एक कार ने पीछे से धक्का मार दिया था. इस घटना में संतोष की मौत हो गयी थी. संतोष आम आदमी पार्टी की सीमापुरी विधानसभा से प्रत्याशी भी बनायी गयी थीं.
मालूम हो कि सिसोदिया इससे पहले एक गैर सरकारी संगठन के प्रतिनिधि के बतौर तत्कालीन मुख्यमंत्री शीला दीक्षित से राशन की जगह कैश दिये जाने की स्कीम पर चर्चा करने आये थे.
सिसोदिया पूरी तरह जज्बाती होते हुए लिखा है कि मुख्यमंत्री और उनके सचिव पीके त्रिपाठी के सामने जब उन्होंने कैश दिये जाने का हमने विरोध किया तो शीला दीक्षित अपना आपा खो बैठीं और पलुस बुलवाकर हमें चैम्बर से बाहर निकलवा दिया. हम बाहर थे तो उन्हें यह भी गवारा न हुआ और उन्होंने हमें इसी सचिवालय परिसर से ही बाहर करवा दिया.
सिसोदिया ने उन पलों को याद करते हुए कहा कि सचिवालय की बिल्डिंग आज भी वही है लेकिन जनता ने आज उन मैडम( शीला दीक्षित) को ही इस बिल्डिंग से निकाल कर बाहर कर दिया है.
सिसोदिया इस घटना से कितने आहत हुए इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि घटना के दो साल गुजर जाने के बाद वह कभी सचिवालय नहीं गये.
सिसौदिया ने कहा कि अब वक्त बदल गया है लेकिन आज संतोष जिंदा होतीं तो आज वह उनकी बगल की कुर्सी पर बैठी होतीं.