भारत विकास परिषद की नालंदा जिला अध्यक्ष दिलीप कुमार के अध्यक्षता में गर्मी के छुट्टियों में आज छठे दिन शिष्टाचार और संस्कार, योग, गीत-संगीत, नृत्य आधारित विशेषज्ञों के द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम किया गया है. जिसका उद्देश्य है बच्चो के सर्वांगीन कौशल को बढ़ाना, अकादमिक शिक्षा के अलावा छात्रों को नए कौशल सीखाने के लिए यह बिहारशरीफ में पहली वार बच्चों के लिए समर कैम्प आयोजित किया गया है।
इसमें बच्चों को बहुत कुछ सीखने का माहौल उपलब्ध कराया जाता है, साथ ही साथ उन्हें वास्तविक दुनिया के कौशल से परिपूर्ण किया जाता हैं। जिसमें बच्चों को अकादमिक शिक्षा के अलावा वास्तविक दुनिया के कौशल को सीखने का मौका मिलता हैं। इस समर कैम्प में छात्र/ छात्राओं की विभिन्न प्रगतिशील गतिविधियों पर उपस्थित सलाहकारों और विशेषज्ञ शिक्षकों द्वारा बारीकी से निगरानी में प्रशिक्षणार्थियों को प्रशिक्षण की व्यवस्था की गई है।
मौके पर बिहार अराजपत्रित प्रारम्भिक शिक्षक संघ के राज्य परिषद् सदस्य राकेश बिहारी शर्मा ने कहा कि समर कैम्प (ग्रीष्मकालीन शिविर) छात्र के विद्यालय जीवन का एक अनिवार्य हिस्सा है। (समर कैम्प) ग्रीष्मकालीन शिविर में बच्चे अपने माता-पिता की अनुपस्थिति में खुद की देखभाल करना सीखते हैं और बच्चों को विभिन्न नए-नए और महत्वपूर्ण कौशल सिखाए जाते हैं। इस ग्रीष्मकालीन शिविर में बच्चे विभिन्न मूल्यवान जीवन कौशल सीखते है, जैसे नेतृत्व के गुण, अन्य बच्चों के साथ सामाजिक बनना और अनुशासन जो कि अकादमिक ज्ञान के रूप में बहुत महत्वपूर्ण हैं। ये कौशल शुरुआत से बच्चों में आत्मविश्वास उत्पन्न करता हैं और बदले में उनके समग्र विकास में सहायता करता हैं। बच्चों के लिए समर कैम्प अत्यधिक महत्व रखता हैं।
नालंदा जिला पतंजलि योग समिति के जिलाध्यक्ष योगाचार्य रामजी प्रसाद यादव ने राष्ट्र गीत वन्दे मातरम् के बाद उपस्थित छात्र/छात्राओं को योग,ध्यान प्राणायाम और इससे होने वाले लाभ को वारिकी से सिखाया।
अंतरराष्ट्रीय शायर व उर्दू साहित्य के समीक्षक बेनाम गिलानी ने मौके पर कहा कि शिक्षा और संस्कार ही एक ऐसा माध्यम है जिसके द्वारा न केवल हम अपने परिवार में बल्कि समाज में भी एक अच्छा स्थान पा सकते हैं। लेकिन समय के साथ-साथ आज के बच्चं में संस्कारों की काफी कमी देखने को मिलती है, लेकिन अगर उस कमी के कारणों का आंकलन किया जाए तो उसमें परिवार की भी कमी सामने आती है। आजकल मां-बाप व्यवस्था के चलते अपने बच्चों को समय नहीं दे पाते। जिसकी वजह से जो संस्कार बच्चे को शुरू से दिए जा सकते हैं, उनसे बच्चा वंचित रह जाता है।
उन्होंने कहा कि संस्कार रूपी शस्त्र के माध्यम से हम दुश्मन को भी दोस्त बना सकते हैं। इस तरह के समर कैम्प तथा नियमित योगासन किसी भी माध्यम से समय-समय पर आयोजित होती रहनी चाहिए। ताकि बच्चों की पढ़ाई केवल पाठ्यक्रम तक ही सीमित न रह जाए बल्कि उन्हें जीवन की असली पढ़ाई संस्कारों का भी बोध हो सके और वे जीवन में संस्कारों के महत्व को समझ सके। रिश्ते नातों को अपने संस्कार व व्यवहार से संजो सके। बिना संस्कार मानव जीवन निरर्थक है संस्कार के जरिए ही जीवन की सही आधारशिला रखी जा सकती है। संस्कार खरीदे नहीं जा सकते बल्कि इन्हें अपने गुरुजनों से माता-पिता से और अच्छे संगती से ही प्राप्त किया जा सकता है। ये पाठ समर कैम्प में छात्राओं को पढ़ाया गया।
समर कैम्प में पतंजलि योग समिति नालंदा के जिलाध्यक्ष योगाचार्य रामजी प्रसाद यादव व योग शिक्षक सुजीत कुमार ने योग का प्रशिक्षण दिया, रामसागर राम ने गीत-संगीत और अभिनय का पाठ पढ़ाया, पेंटिंग और नृत्य पप्पु कुमार ने सिखाया, शत्रुधन प्रसाद ने समर कैम्प में आये बच्चों को कराटे सिखाया।
इस अवसर पर आदित्या हास्पीटल अम्बेडकर चौक बिहारशरीफ के डॉक्टर आशुतोष कुमार, बिहार अराजपत्रित प्रारम्भिक शिक्षक संघ के राज्य परिषद् सदस्य राकेश बिहारी शर्मा, प्रो. मिथलेश कुमार, भारत विकास परिषद नालंदा के अध्यक्ष दिलीप कुमार, नालंदा नाट्य संघ के अध्यक्ष रामसागर राम, भारत विकास परिषद नालंदा के कोषाध्यक्ष संजय कुमार विद्यार्थी, सचिव विनीत कुमार, डॉ.रामाधीन सिंह, विवेक कुमार, मुकेश कुमार इत्यादी लोगों ने भाग लिया