सुप्रीम कोर्ट के समलैंगिक, (गे और लेस्बियन) को थर्ड जेंडर मानने से इनकार के फैसले के बाद सोशल मीडिया में कोहराम मच गया है. यह खबर टॉप ट्रेंड करने लगी है.
गौरतलब है कि गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने समलैंगिकों को थर्ड जेंडर मानने की याचिका को रद्द कर दिया है. साथ ही कोर्ट ने साल 2014 में ट्रांसजेंडर को तीसरे जेंडर मानने वाले अपने आदेश में किसी प्रकार के बदलाव करने से भी मना कर दिया है।
बेंच समलैंगिकता को अपराध मानने वाली आईपीसी की धारा 377 पर बुधवार को कोर्ट ने सुनावई करने से इंकार कर दिया। यह याचिका कुछ चर्चित गे सेलिब्रिटी शेफ रितु डालमिया, होटल कारोबारी अमन नाथ और डांसर एनएस जौहर ने दायर की थी।
साल 2014 के अपने एक निर्णय में सुप्रीम कोर्ट ने ट्रांसजेंडर समुदाय (महिला हो या पुरुष) को तीसरा जेंडर माना था। जस्टिस के. एस. राधाकृष्णन और ए. के. सिकरी की दो जजों की बेंच ने निर्णय दिया है कि ट्रांसजेंडर सुमदाय को सुरक्षा और संविधान के अनुसार उनके हक देने के लिए तीसरा जेंडर माना गया है।
केंद्र और राज्य सरकार को निर्देश दिए गए थे कि ट्रांसजेंडर समुदाय को सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़ा माना जाए। साथ ही शैक्षिक संस्थानों में दाखिले को लेकर उनके आरक्षण की व्यवस्था की जाए। बेंच ने कहा था कि ट्रांसजेंडर को तीसरा जेंडर मानने के पीछे सामाजिक और मेडिकल कारण नहीं है बल्कि यह मानवाधिकार से जुड़ा मामला है।
ट्रांसजेंडर भी भारत के नागरिक हैं। संविधान की मूलभावना है कि सभी नागरिकों को जाति, धर्म और जेंडर से ऊपर उठ कर आगे बढ़ने का समान अवसर दिया जाए। इसके निर्णय के बाद सभी प्रकार के दस्तावेजों जैसे जन्म प्रमाण पत्र, पासपोर्ट, राशन कार्ड में तीसरे जेंडर के तौर पर ट्रांसजेंडर को शामिल किया गया ।
गुरुवार को फैसला सुनाये जाने के बाद से सोशल मीडिया फेसबुक और ट्विटर समेत अन्य माध्यमों पर इस मुद्दे पर जोर-शोर से बहस शुरू हो गयी है.