सोमवार को समाजवादी परिवार के नये युग की शुरुआत हुई। लोहिया, जयप्रकाश व कर्पूरी ठाकुर के नाम की राजनीति करने वाली दो धारा एक साथ चलने को सहमत हो गयी है। मंडल आयोग आंदोलन से निकली राजनीति का बिखराव 1991 से ही शुरू हो गयी थी। लेकिन बिहार में इसका व्यापक असर 1994 में पड़ा, जब नीतीश कुमार ने लालू यादव को झटका देते हुए अलग समता पार्टी बनायी और लालू यादव पर नीतियों से भटकने का आरोप लगाया। इसके बाद से दोनों के बीच मनमुटाव बढ़ता गया और नीतीश की पूरी राजनीति लालू विरोध पर केंद्रित हो गयी।
बिहार ब्यूरो
करीब 20 वर्षों बाद दोनों एक साथ हाजीपुर में एक मंच पर आए। बिहार विधान सभा की दस सीटों के लिए हो रहे उपचुनाव में जीत दर्ज करना इनकी मजबूरी हो गयी और इसके लिए साझा कार्यक्रम जरूरी हो गया। जनता के बीच गठबंधन को लेकर व्याप्त संशय बढ़ता जा रहा था। इस पर रोक लगाने के लिए दस विधान सभाओं के लिए पांच जगहों पर संयुक्त चुनाव कार्यक्रम तय किया गया। इसकी शुरुआत हाजीपुर से हुई और दोनों ने गले मिलकर अपने गिले शिकवे दूर करने का प्रयास किया। हाजीपुर की सभा में दोनों सड़क मार्ग से पहुंचे। गाड़ियों का काफिला भी बहुत लंबा था। मंच पर पहले नीतीश कुमार पहुंचे। थोड़ी देर बाद लालू यादव भी मंच पर पहुंचे। दोनों ने एक-दूसरे का अभिवादन किया और फिर गले भी मिले। भीड़ अपेक्षा से कम बतायी गयी, जबकि मीडियाकर्मियों का व्यापक जमावड़ा था। सभा के दौरान दोनों के निशाने पर भाजपा रही। निशाने पर रामविलास पासवान भी रहे। हाजीपुर लोकसभा रामविलास पासवान का संसदीय क्षेत्र है और यहां से कई बार सांसद चुने गये हैं।
आज की यह सभा समाजवादी धारा के लिए भी महत्वपूर्ण मानी जाएगी। लालू यादव ने मंच से घोषणा की कि उत्तर प्रदेश में मुलायम सिंह यादव व मायावती को भी मिलकर भाजपा की सांप्रदायिकता से मुकाबला करना चाहिए। नीतीश कुमार ने कहा कि गठबंधन को लेकर लोग हमारा और लालू जी का मजाक उड़ा रहे हैं। लेकिन भाजपा को समझ लेना चाहिए कि उसके मंसूबों को सफल नहीं होने देंगे। समाज में जो नया समीकरण बन रहा है, वह गठबंधन के पक्ष में है और जनता की पहली पंसद यह गठबंधन ही बन गया है। उन्होंने जनता को भरोसा दिलाया कि कल हमारा है और भाजपा को शिकस्त मिलना बिहार से शुरू होगा।