राज्यपाल लालजी टंडन ने आज कहा कि देश का संविधान परिवर्तन के दौर में भी समय और समाज की चुनौतियों का सफलतापूर्वक सामना करने में सक्षम रहा है। श्री टंडन ने यहां राजभवन में पहली बार आयोजित ‘संविधान दिवस समारोह’ को संबोधित करते हुए कहा कि देश का संविधान परिवर्तन के दौर में भी समय और समाज की चुनौतियों का सफलतापूर्वक सामना करने में सक्षम रहा है। इसकी नमनीयता, सरलता और स्पष्टता के फलस्वरूप बदलाव के दौर में भी हर तरह की स्थितियों का सामना करने में कोई कठिनाई नहीं हुई है।
उन्होंने कहा कि संविधान की व्यवस्थाओं के अनुरूप विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका सबने अपने-अपने दायित्वों का कुशलतापूर्वक निर्वहन किया है, जिससे भारतीय गणतंत्र एवं लोकतंत्र को ताकत मिली है। राज्यपाल ने कहा कि संविधान के अनुरूप देश में न्यायपालिका स्वतंत्रतापूर्वक संवैधानिक प्रावधानों के अनुरूप न्याय सुलभ कराने का काम करती है। उन्होंने कहा कि शासन-व्यवस्था के तीनों अंगों ने पूरी स्वतंत्रता, समन्वय और अपने-अपने दायित्वबोध के साथ काम कर भारतीय लोकतंत्र को वैश्विक प्रतिष्ठा दिलायी है। टंडन ने कहा कि संविधान के अनुरूप अटूट आस्था से ही भारतीय लोकतंत्र सुदृढ़ होगा।
उन्होंने कहा कि संविधान प्रदत अधिकारों का उपयोग करने के साथ-साथ प्रत्येक नागरिक को देश और समाज के प्रति अपने कर्तव्यों का भी बोध होना चाहिए। उन्होंने कहा कि न्यायपालिका में लंबित वादों के त्वरित निष्पादन पर भी ध्यान दिया जाना आवश्यक है, ताकि सस्ता और सुगम न्याय गरीब को भी उपलब्ध हो सके। समाज के अभिवंचित वर्ग को जबतक संविधान प्रदत अधिकार सुगमता से उपलब्ध नहीं होते तब तक समाज में पूरी खुशहाली और संतोष व्याप्त नहीं होगा। राज्यपाल ने कहा कि संविधान के अनुपालन के प्रति जन-जागरुकता विकसित करने के उद्देश्य से ‘संविधान दिवस’ का आयोजन बड़े पैमाने पर होना चाहिए। उन्होंने कहा कि भारतीय संविधान देश और समाज में जीवन-व्यवस्था को नियमित, नियंत्रित एवं सुसंचालित करता है।