मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने केन्द्र सरकार से सभी धर्मों के लिये समान आचार संहिता बनाये जाने की दिशा में कोई भी कदम उठाने से पहले इस मामले पर संसद में और राज्यों के विधानमंडल में चर्चा कराये जाने की मांग की है ।
श्री कुमार ने विधि आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति बी.एस चौहान को लिखे पत्र में जिसकी प्रति आज मीडिया में जारी की गयी, जिसमें कहा कि आयोग ने दस अक्टूबर 2016 को इस मामले पर प्रश्नों की सूची भेजकर राय मांगी थी, लेकिन इसके जवाब देने का तरीका इस तरह तय किया गया था कि ऐसे संवेदनशील मुद्दे पर इस तरह जवाब दिया जाना उचित नहीं हो सकता । उन्होंने कहा कि ऐसे मुद्दे पर पूछे गये सवालों का सम्पूर्णता में जवाब दिया जाता है , सिर्फ प्रश्नों पर आधारित जवाब दिया जाना उचित संभव नहीं है ।
मुख्यमंत्री ने मांग की कि समान आचार संहिता बनाये जाने की दिशा में केन्द्र सरकार को कदम बढाने के पहले संसद और राज्यों के विधानमंडलों में इस विषय पर चर्चा कराने के लिये पहल करनी चाहिए । सभी धर्मो के विभिन्न संस्थाओं से भी इस मामले पर राय लिया जाना चाहिए ताकि यह स्पष्ट हो सके कि वह इसके पक्ष में हैं या विपक्ष में । उन्होंने कहा कि इन संस्थाओं को अपना विचार स्पष्ट करने के लिये पर्याप्त समय मिलना चाहिए । श्री कुमार ने कहा कि यह सही है कि संविधान के अनुच्छेद 44 में कहा गया है कि सरकार समान आचार संहिता बनाये जाने के लिये प्रयास करेगी । उन्होंने कहा कि संविधान निर्माताओं को ऐसा विश्वास था कि लम्बे अंतराल के बाद समान आचार संहिता बनाया जाना संभव हो सकता है । इसी लिये इन बातो का जिक्र संविधान के नीति निर्देशक तत्व में किया गया है ।