3 दिसम्बर को पटना के नये सिटी एसपी शिवदीप लांडे ने जब जरायमपेशों को भरी सड़क से फिल्मी अंदाज में दौड़ा के पकड़ा तो अखबरारों का पेज-3 उनके कारनाम से पट गया.
पर आज यानी 12 दिसम्बर के अखबारों का पेज-3 लोगों ने पढ़ा तो महसूस किया कि यहां लांडे के कारनामें की जगह क्रिमनल्स की करतूतें छायी हैं.
दैनिक भास्कर और प्रभात खबर की कुछ सुर्खियों पर गौर करेंं-‘पूर्व सांसद के बेटे की हत्या’, ‘एक ही घर में शादी और रिसेप्शन की रात चोरी’, ‘सार्जेंट मेजर के ऑफिस से चोरी’, ‘रेलकर्मी के घर में चोरी’. इतना ही नहीं ‘फर्जी सीबीआई बन कर लूटने वालों का अब तक कोई सुराग नहीं, स्केच बना कर चोरों को पकड़ने में जुटी पुलिस’. ‘खबर छपी तो महिला ताने का खुल गया ताला’ और ‘पुलिस के खिलाफ वेंडरों का प्रदर्शन’.
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पेज-3 पर अखबारों की ये सुर्खियां पटना की हालत को बयान करती हैं. ऐसे में सिटी एसपी शिवदीप लांडे से पटनाइट की उम्मीदें बढ़ जाती हैं. खास कर तब, जब लांडे की छवि एक हिरोइक अफसर की बना दी गयी है. लांडे पहले भी पटना के सिटी एसपी रह चुके हैं, तब उन्होंने कानून व्यवस्था को चुस्त-दुरुस्त करने में एक हद तक कामयाबी हासिल की थी. उनके प्रति युवाओं में काफी उत्साह था.
इस बार जब उन्होंने फिर से सिटी एसपी का पद पिछले पखवाड़े संभाला तो लोगों की उम्मीदें उनसे बढ़ीं. उन्होंने अपने फेसबुक पेज पर लोगों को सूचित किया कि उन्होंने फिर पटना ज्वाइन कर लिया है और उनकी प्राइयरिटी लॉ ऐंड ऑर्डर और मिहला सुरक्षा सुनिश्चित करना है. पर उनके पद संभालने के हफ्ते भर में जिस तरह से जरायमपेशों ने शहर की शांति और अमन की बखिया उतार दी हैं, यह लांडे के लिए गंभीर चुनौती है.
पिछले दिनों नौकरशाही डॉट इन ने ‘लांडे लाइव;यह फिल्म की शूटिंग नहीं, हकीकत थी’ शीर्षक से लांडे द्वारा जरायमपेशों को दौड़ा कर पकड़ने की स्टोरी छापी तो कुछ लोगों ने प्रतिक्रिया दी कि लांडे को मीडिया अखबारी हीरो बना रहा है. पिछली बार भी मीडिया ने ही उन्हें चमकाया था. ये प्रतिक्रिया एक स्वाभाविक प्रतिक्रिया थी.
पिछली बार जब शिवदीप लांडे पटना के सिटी एसपी रहे तो उन्होंने हर छोटी-बड़ी एक्टिविटी की खबर मीडिया को देते थे. इस बार भी वह कुछ ऐसा ही कर रहे हैं. गुरुवार के ही एक अखबार में उनकी फोटो छपी है जिसमें वह बेऊर जेल के निरीक्षण करने गये हैं. स्वाभाविक है उनके डिपार्टमेंट ने अखबार को इस बारे में खबर दी होगी. ऐसी बातों से लांडे को बचने की जरूरत है.
अब चूकंकि लांडे ने पटना के सिटी एसपी के बतौर फिर से जिम्मेदारी संभाल ली है तो ऐसे में उन्हें अपनी छवि के अनुरूप लोगों की उम्मीदों पर खुद को खरा साबित करना होगा. वरना पेज-3 पर उनके कारनामों की जगह जरायमपेशों की करतूतें अगर जगह बनाती रहीं तो कुछ ही दिनों में अखबारों के पेज-3 उनकी आलोचनाओं से भरी होगी.