चुनाव आयोग ने सरकारी खर्च पर चुनाव कराने के विचार को खारिज कर दिया। आयोग ने कहा है कि जब तक चुनाव प्रचार और राजनीतिक फंडिंग में पूरी तरह से सुधार नहीं किया जाता, इसकी इजाजत नहीं दी जा सकती।
चुनाव आयोग ने कहा कि यह व्यवस्था इसलिए भी लागू नहीं की जा सकती, क्योंकि चुनावी खर्च की सही तरीके से जांच करना और इस पर नियंत्रण रखना संभव नहीं है। साथ ही साथ, चुनाव आयोग ने यह भी कहा कि वह राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों की पारदर्शिता और जवाबदेही के लिए सुधारों के साथ-साथ चुनाव प्रचार के लिए राज्य की सहायता के विस्तार के विचार के प्रति उदार रवैया अपनाया जा सकता है।
राजनीति में धन-बल पर जताई चिंता
राजनीतिक वित्त के मुद्दे पर स्टेकहोल्डर्स के साथ 30 मार्च को होने वाली बैठक से पहले जारी एक परामर्श पत्र में आयोग ने राजनीति में धन बल के इस्तेमाल पर चिंता जताई। उन्होंने कहा कि कहा कि आम सभाओं और मीडिया में विज्ञापनों के मामले में चुनाव प्रचार के भारी खर्च चिंताजनक है। अगर धनी व्यक्ति और कॉर्पोरेट राजनीतिक इस उद्देश्य से विभिन्न दलों या उम्मीदवारों को धन देती हैं कि उनकी बातें वे सुनें, तो यह लोकतंत्र के मूल सिद्धांतों को नजरअंदाज करता है।