उच्चतम न्यायालय ने सरकारी विज्ञापनों पर राज्यपालों, मुख्यमंत्रियों और अन्य नेताओं की तस्वीरें प्रकाशित करने पर रोक लगाते हुए आज व्यवस्था दी कि ऐसे विज्ञापनों पर केवल राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और शीर्ष अदालत के मुख्य न्यायाधीश की तस्वीरें ही लगाई जा सकेंगी।
सरकारी खर्चे पर चेहरा चमकाने की इजाजत नहीं
न्यायमूर्ति रंजन गोगोई और न्यायमूर्ति की खंडपीठ ने गैर-सरकारी संगठनों कॉमन कॉज, सेंटर फॉर पब्लिक इंटेरेस्ट लिटिगेशन तथा अन्य की याचिकाओं पर अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि सरकारी विज्ञापनों पर राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और मुख्य न्यायाधीश के अलावा किसी अन्य की तस्वीर नहीं लगाई जाएगी। शीर्ष अदालत ने स्पष्ट किया कि इन तीनों संवैधानिक पदों पर बैठे व्यक्तियों से मंजूरी लेनी होगी कि संबंधित विज्ञापन में उनकी तस्वीर का इस्तेमाल किया जाये या नहीं। न्यायालय ने विज्ञापनों के नियमन के लिए सरकार से तीन-सदस्यीय कमेटी बनाने को भी कहा है।
महापुरुषों की तस्वीर लगायी जा सकेगी
खंडपीठ ने न्यायालय द्वारा गठित समिति की लगभग सभी सिफारिशें तो स्वीकार कर ली, लेकिन मुख्यमंत्रियों और राज्यपालों की तस्वीर लगाने संबंधी उसकी सिफारिश को अस्वीकार कर दिया। हालांकि न्यायालय से स्पष्ट कर दिया कि महापुरुषों से जुड़े अहम दिनों पर उनकी तस्वीरों का इस्तेमाल किया जा सकता है, लेकिन किसी नेता की फोटो न लगाई जाए। न्यायालय का फैसला उन सभी विज्ञापनों पर लागू होगा, जो केंद्र एवं राज्य सरकारों की योजनाओं के प्रति जागरूकता पैदा करने के लिए जारी की जाती है। याचिकाकर्ताओं की मांग थी कि राजनीतिक लाभ हासिल करने के लिए सत्तापक्ष को करदाताओं के पैसे बर्बाद करने से रोकने के लिए सख्त नियम बनाये जाने चाहिए।