सुप्रीम कोर्ट का फैसला आते ही सरकार के विज्ञापनों में जादुई परिवर्तन दिखने लगा है. दो दिन पहले तक मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की तस्वीर वाले विज्ञापन की जगह अब सीएम का केवल नाम ही दिख रहा है.
नौकरशाही डेस्क
गौरतलब है कि दो दिन पहले ही उच्चतम न्यायालय ने सरकारी विज्ञापनों में राज्यपालों, मुख्यमंत्रियों और अन्य नेताओं की तस्वीरें प्रकाशित करने पर रोक लगाते हुए व्यवस्था दी कि ऐसे विज्ञापनों पर केवल राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और शीर्ष अदालत के मुख्य न्यायाधीश की तस्वीरें ही लगाई जा सकेंगी.
शुक्रवार को बिहार सरकार ने अनेक विज्ञापन अखबारों को जारी किया है. लेकिन जब आप इन विज्ञापनों पर गौर करेंगे तो पहले राज्य सरकार के तमाम विज्ञापनों में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की बड़ी सी तस्वीर दिखती थी. इतना ही नहीं ये विज्ञापन सरकार के जिस विभाग का हुआ करता था, उस विभाग के मंत्री की तस्वीर भी लगी होती ती. लेकिन अब इन विज्ञापनों में ये तस्वीरें अचानक गायब हैं और उसकी जगह मुख्यमंत्री का केवल नाम ही पढ़ा जा सकता है.
न्यायमूर्ति रंजन गोगोई और न्यायमूर्ति की खंडपीठ ने गैर-सरकारी संगठनों कॉमन कॉज, सेंटर फॉर पब्लिक इंटेरेस्ट लिटिगेशन तथा अन्य की याचिकाओं पर अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि सरकारी विज्ञापनों पर राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और मुख्य न्यायाधीश के अलावा किसी अन्य की तस्वीर नहीं लगाई जाएगी। शीर्ष अदालत ने स्पष्ट किया कि इन तीनों संवैधानिक पदों पर बैठे व्यक्तियों से मंजूरी लेनी होगी कि संबंधित विज्ञापन में उनकी तस्वीर का इस्तेमाल किया जाये या नहीं.
अदालत के इस कदम की सामाजिक क्षेत्र में व्यापक प्रशंसा मिली है. जबकि राजनेताओं ने इस पर चुप्पी बनाये रखना ही मुनासिब समझा है.
पूर्व आईएएस अफसर एमए इब्राहिमी ने अदालत के इस फैसले का स्वागत करते हुए उम्मीद जतायी कि इस फैसले से भ्रष्टाचार रोकने और जनता की गाढ़ी कमाई के पैसे को बरबाद होने से रोकने में मदद मिलेगी